मुंबई: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित आनंदवन की सीईओ डॉक्टर शीतल आमटे ने आत्महत्या कर ली है. उन्होंने ज़हर का इजेक्शन ले लिया, जिससे उनकी मौत हो गई. शीतल कुष्ठरोगियों के पुनर्वास के लिए काम करने वाले मशहूर समाजसेवी और 'भारत जोड़ो' के प्रणेता पद्मश्री बाबा आमटे की पोती हैं. शीतल पिछले 2 साल से आनंदवन का पूरा संचालन कर रही थीं. शीतल आमटे और उनके भाई कौस्तुभ आमटे के बीच आनंदवन की कमान को लेकर विवाद चल रहा था. कुछ दिनों पहले शीतल ने फेसबुक वीडियो के जरिए आनंदवन से जुड़े लोगों पर गंभीर आरोप लगाए थे. शीतल को फेसबुक से पोस्ट को हटाने के लिए बाध्य किया गया. पूरे आमटे परिवार ने प्रेस नोट जारी कर शीतल आमटे का मानसिक इलाज शुरू होने की बात कही थी.


बाबा आमटे द्वारा स्थापित महारोगी सेवा समिति का सीईओ पद डॉक्टर शीतल आमटे के पास था. उनकी मौत पर इस समय पुरे राज्य में चर्चा हो रही है. साथ ही इस आत्महत्या से आनंदवन की साख पर भी कई सवाल खड़े हो गए हैं. महज 39 साल की उम्र में शीतल आमटे ने दुनिया को अलविदा कह दिया. पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर शीतल दिव्यांगों के इलाज में विशेषज्ञ थीं. शीतल आमटे को समजसेवा की यह विरासत उनके दादा से ही मिली थी. लगभग 60 साल पहले बाबा आमटे ने चंद्रपुर जिले में कुष्टरोगियों के इलाज और पुनर्वास के लिए महारोगी सेवा समिति की स्थापना की थी.


CEO पद मिलने की वजह से परिवार में आई दरार
आम भाषा में इस प्रोजेक्ट को आनंदवन कहा जाता है. शीतल आमटे इसी महारोगी सेवा समिति की CEO थीं और आनंदवन की पूरी कमान उन्हीं के हाथों में थी. हालांकि यही CEO पद उनके और उनके परिवार के बीच दरार की वजह बन गया था. आनंदवन की धरोहर कौन संभाले और किसे इसकी बागडोर सौंपी जाए इसे लेकर शीतल आमटे और उनके भाई कौस्तुभ आमटे में विवाद चल रहा था.


2009 में बाबा आमटे की मृत्यु के बाद उनके पुत्र विकास आमटे आनंदवन का काम देखते थे. कौस्तुभ आमटे भी इस काम में अपने पिता की मदद करते थे. हालांकि बाबा आमटे की मृत्यु के बाद लोगों में आनंदवन का आकर्षण कम होता गया और महारोगी सेवा समिति भी नए प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर पाई. इसीलिए विकास आमटे ने पूणे से अपनी बेटी डॉ शीतल को आनंदवन बुलाकर कई जिम्मेदारियां सौंपी. इस बीच शीतल की पूणे के IT क्षेत्र में कार्यरत गौतम करजगी से शादी हो गई.


पिता ने बनाया था CEO 
शीतल ने भी आनंदवन में पुरे जोश से नए-नए प्रोजेक्ट शुरू किये और लोगों तक सोशल मीडिया के जरिए इसकी खूब जानकारी पहुंचाई. शीतल के इस काम को लोगों ने भी खूब पसंद किया और इसी वजह से विकास आमटे ने उन्हें CEO पद की जिम्मेदारी दी. हालांकि आनंदवन प्रोजेक्ट में यह पोस्ट नहीं था, मगर शीतल के लिए यह पद तैयार किया गया. शीतल के हाथ में अब पुरे आनंदवन की कमान थी और यही बात कौस्तुभ आमटे और उनके बीच विवाद की वजह बनी.


दोनों के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया कि कौस्तुभ को आनंदवन छोड़कर पुणे जाना पड़ा और बाद में उन्हें महारोगी सेवा समिति के सदस्य पद से भी हटा दिया गया. हालांकि आनंदवन को शीतल आमटे जिस तरह चला रही थीं उसे लेकर उनपर कई आरोप लगाए गए. इन आरोपों को हवा देने में आनंदवन से जुड़े कुछ लोगों के होने का उन्हें अंदेशा था और इसे लेकर वो तनाव में थीं. दूसरी तरफ कौस्तुभ आमटे और शीतल आमटे के बीच मचा घमासान आनंदवन की साख को ख़राब कर रहा था.


आनंदवन से जुड़े लोगों पर वीडियो जारी कर शीतल ने लगाए थे गंभीर आरोप
इसी वजह से कौस्तुभ आमटे को महारोगी सेवा समिति के सदस्य पद पर फिर से वापस लिया गया. हालांकि आनंदवन परिवार के इस फैसले से शीतल आमटे काफी आहत हुईं और उन्होंने 20 नवंबर को फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें उन्होंने आनंदवन से जुड़े लोगों पर कई गंभीर आरोप लगाए. मगर परिवार के दबाव में आकर उन्होंने जल्द ही वो वीडियो डिलीट कर दिया. इसके बाद आमटे परिवार ने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर शीतल आमटे के सभी आरोपों से किनारा कर लिया. साथ ही शीतल आमटे के मानसिक इलाज चलने की बात कह कर उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए. माना जा रहा है कि पुरे परिवार के अपने खिलाफ इस तरह प्रेस रिलीज़ जारी करने से डॉक्टर शीतल आमटे काफी तनाव में थीं और इसी वजह से उन्होंने आत्महत्या की.


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