Anil Deshmukh On Jail: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के घर 'एंटीलिया' के बाहर विस्फोटक रखे जाने के मामले में बड़े दावे किए हैं. देशमुख ने एक पूर्व पुलिस कमिश्नर पर विस्फोटक की साजिश का शक जताया है. साथ ही उन्होंने जेल में अपनी बैरक को लेकर बड़ा खुलासा भी किया है.
मुंबई तक के एक कार्यक्रम में बोलते हुए देशमुख ने कहा, “हमें पता चला कि विस्फोटक पूर्व सहायक पुलिस इंस्पेक्टर (एपीआई) सचिन वाज़े ने घटना के चार या पांच दिन बाद लगाए थे. उनकी पोस्टिंग मुंबई पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर परमबीर सिंह ने की थी, जो उनके काफी करीबी थे." देशमुख ने दावा किया कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर बम प्लांट करने में शामिल हो सकते हैं.
वाजे ने ही रखा था बम- देशमुख
उन्होंने कहा कि मामला एनआईए के पास जाने से पहले ही हमें पता चल गया था कि सचिन वाजे ने ही बम रखा था. वाजे और चार अन्य अधिकारी इसमें शामिल थे. इसके लिए एक सफेद इनोवा इस्तेमाल हुई थी. उन्होंने सवाल किया कि पुलिस कमिश्नर को इस बारे में कैसे पा नहीं था, जब कमिश्नरेट की पूरी मशीनरी ही इसमें लगी थी.
देशमुख ने आगे कहा, परमबीर सिंह का वाज़े के साथ पुराना संबंध था. दोनों में 25 साल पुराना रिश्ता था. कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों के अलावा इसमें कोई शामिल नहीं था. यह एक गंभीर घटना थी और सिंह को निलंबित किए जाने से पहले ट्रांसफर कर दिया गया था. वाजे को भी निलंबित कर दिया गया था. निलंबन के बाद दोनों ने 100 करोड़ रुपये की फिरौती के रैकेट का आरोप लगाया. देशमुख ने सवाल किया जब वे अपने-अपने पद पर थे, तब उन्होंने वे आरोप क्यों नहीं लगाए?
वाजे का निलंबन रद्द किए जाने और फिर से पोस्टिंग को लेकर देशमुख ने कहा इसका गृह मंत्री से मतलब नहीं था. वाजे सहायक पुलिस निरीक्षक थे और उनका निलंबन और पोस्टिंग कमिश्नर कर सकते थे. जब मुझे वाजे के खिलाफ शिकायतें मिलने लगीं तो मैंने सिंह को फोन किया और वाजे के बारे में पूछा. उन्होंने कहा कि वह वाजे को पिछले 25 सालों से जानते हैं और उसके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं.
कसाब की बैरक में रखा गया- देशमुख
अनिल देशमुख को करीब एक साल तक मुंबई की आर्थर रोड जेल में रहना पड़ा था. उन्हें बैरक नंबर 12 में रखा गया था. उन्होंने बताया कि मुझे उस बैरक में रखा गया था जिसमें आतंकी अजमल कसाब को रखा गया था. बैरक को कसाब के लिए खास तौर पर तैयार किया था और इसे तीन इंच मोटी लोहे की चादर से ढंका गया था. इसमें कहीं से भी प्राकृतिक रोशनी नहीं आती थी.
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