कश्मीर घाटी में महाशिवरात्री पर भैरव-भैरवी की होती है पूजा, भक्त ये लगाते हैं भोग
कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में इस पर्व को “HERATH” के नाम से जाना और मनाया जाता है. बाकी जगहों के विपरीत शिव और पार्वती की जगह भैरव-भैरवी की पूजा होती है.
पूरे देश में जहां महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पर्व बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है वहीं कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में इस पर्व की अपनी अलग पहचान है. यहां पर इस पर्व को “HERATH” के नाम से जाना और मनाया जाता है. बाकी जगहों के विपरीत शिव और पार्वती की जगह भैरव-भैरवी की पूजा होती है. इस दौरान भगवान को मांस और मछली का भी भोग लगाया जाता है. ये पूजा घर के अंदर ही होती है. भगवान शिव और पार्वती के विवाह के समारोह को दर्शाता महाशिवरात्रि का पर्व पूरी कश्मीर घाटी में बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. कश्मीर घाटी में 'HERATH' के नाम से मनाया जाने वाला ये त्योहार तीन दिनों तक चलता है. महाशिवरात्रि के मौके पर शिव-पार्वती के मिलन के साथ साथ भैरव-भैरवी की पूजा होती है. सभी भक्त घर के अंदर रहकर ही मंत्र और श्लोक का जाप करते हैं. यहां मंदिर में पूजा शिवरात्रि के दूसरे दिन होती है.
कश्मीर घाटी में होती है भैरव-भैरवी की पूजा
पूजा की शुरूआत में दो मटकों में अखरोट और पानी भर दिए जाते हैं. शिव और शक्ति का प्रतीक माने जाने वाले इन्हीं मटकों की पूजा होती है. आस पास कई छोटे-छोटे मटकों को गणेश और अन्य देवी-देवताओं के प्रतीक के तौर पर रखा जाता है. इन मटकों के जुर्मत को “VATUK” कहते है. ऐसा माना जाता है कि हर कश्मीरी हिंदू के घर में एक “VATUK” का होना जरूरी होता है. इस पूजा को वाटुक पूजा भी कहा जाता है. इसमें भगवान को मांस-मच्छी का भोग लगाया जाता है. यह पूजा केवल कश्मीर घाटी में होती है.
महाशिवरात्रि के अगले दिन होती है दावत
महाशिवरात्रि के अगले दिन दावत होती है जिसको कश्मीर में “सलाम” कहते है. इसी दिन मंदिर में जाकर शिव की पूजा होती है. इस पर्व का अंत दो दिन बाद अमावस्या के दिन होता है. इस दिन चावल और आटे से खास तरह की रोटी बनाई जाती है. इसे मटकों में रखे अखरोटों के साथ प्रसाद के दौर पर बांटते हैं. यह प्रसाद हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय में बराबर बांटते हैं. हेराथ (Herath) कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. देश के बाकी हिस्सों से ये त्योहार बिल्कुल अलग होता है. पूजा का तरीका और भगवान को चढ़ने वाला भोग भी अलग होता है.
ये भी पढ़ें:
शादी में स्टेज पर पहुंचे दूल्हे के दोस्तों ने दुल्हन को दिए ऐसे गिफ्ट, देखकर शर्मा गई दुल्हन