महात्मा गांधी की 154वीं जयंती पर उनके द्वारा किए गए कार्यों, उनके विचारों और सिद्धांतों को याद किया जा रहा है. आजादी की लड़ाई में उनके योगदान से जुड़े किस्से आज फिर से दोहराए जा रहे हैं. महात्मा गांधी ने देश के हिंदुओं और मुसलमानों को जोड़कर रखने के लिए प्रयास कई किए. ऐसा ही एक प्रयास उन्होंने बंटवारे के दौरान किया था और जो मुसलमान भारत में ही रह गए थे उन्हें कुछ नसीहतें दी थीं. तब गांधी जी ने भारत के मुसलमानों से कहा था कि अगर वह ऊपर वाले के प्रति सच्चे हैं और भारतीय संघ में रहना चाहते हैं, तो वह हिंदुओं के दुश्मन नहीं बन सकते.


यह बात 12 सितंबर, 1947 की है. महात्मा गांधी ने एक प्रार्थना सभा में कहा था कि हमें भारतीय एकता के प्रति वफादार रहना होगा, तिरंगे को सलाम करना होगा और सरकार के आदेशों का पालन करना होगा.


गांधी जी की नसीहत
महात्मा गांधी ने प्रार्थना सभा में कहा था, 'हमें अपने धर्म को जानना है. अपने धर्म के आलोक में मैं कहना चाहूंगा कि हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य यह देखना है कि हिंदू और सिख किसी उन्माद में शामिल तो नहीं... मैं मुसलमानों से अपील करूंगा कि वह खुले दिल से इस बात का ऐलान करें कि वह भारत से जुड़े हैं और देश के प्रति वफादार हैं. अगर वह अपने खुदा के लिए सच्चे हैं और भारतीय संघ के साथ रहना चाहते हैं तो वह हिंदूओं के साथ दुश्मनी नहीं रख सकते. और मैं यहां रह रहे मुसलमानों से कहना चाहूंगा कि वह पाकिस्तान में बस चुके मुसलमान, जो हिंदूओं के दुश्मन बन गए हैं, उनसे कहें कि वह पागल न बनें. अगर आप भी उस पागलपन में शामिल होना चाहते हैं, तो मैं आपका सहयोग नहीं करूंगा. हमें देश के प्रति वफादार रहना होगा और तिरंगे को सलाम करना होगा. हमें सरकार के आदेशों का पालन करना होगा.'


हिंद स्वराज में क्या बोले थे महात्मा गांधी
1909 में महात्मा गांधी ने 'हिंद स्वराज' लिखी. इसमें महात्मा गांधी ने कहा था कि हमें याद रखना चाहिए कि भारत के हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक ही हैं और उनकी रगों में उन्हीं का खून बहता है. क्या धर्म बदलने के बाद लोगों को एक-दूसरे का दुश्मन बन जाना चाहिए. गांधी जी ने कहा था कि धर्म अलग-अलग रास्ते हैं जो एक ही पॉइंट पर पहुंचते हैं. 'हिंद स्वराज' में उन्होंने कहा था, 'मैं ये नहीं कहना चाहता हूं कि हिंदू मुसलमान कभी झगड़ेंगे नहीं. दो भाई साथ रहें, तो उनमें तकरार होती है. कभी-कभार सिर भी फूटेंगे, लेकिन सब लोग एक जैसी शक्ल के नहीं होते. जब दोनों जोश में आ जाते हैं, तो गलत काम कर बैठते हैं, जिन्हें हमें सहन करना होगा.'


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