बापू के शहीद दिवस पर सायरन बजाने की क्या थी परंपरा, आज यहां जान लीजिए
Mahatma Gandhi Death Anniversay 2023: पुरानी परंपरा के तहत बापू के शहीद दिवस पर सायरन बजाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती थी. इसे परंपरा को एक बार फिर से बहाल करने की मांग की जा रही है.
Mahatma Gandhi Death Anniversary: भारत आज 30 जनवरी को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 75वीं पुण्यतिथि मना रहा है. ये वही तारीख है जब नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) रिवॉल्वर लिए उनके इंतजार में खड़े थे और उन्हें देख एक के बाद एक तीन गोलियां गांधीजी के सीने पर चला दी थी. आज राजघाट में बापू की समाधि पर सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन होना है. इस बार उनके वंशजों की तरफ से एक पुरानी परंपरा को बहाल करने की भी मांग उठ रही है. पुरानी परंपरा के तहत बापू के शहीद दिवस पर सायरन बजाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती थी.
अब एक बार फिर महात्मा गांधी के पड़पोत तुषार गांधी (Tushar Gandhi) और अन्य लोगों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) से इस परंपरा को फिर से बहाल करने की मांग की है. इस परंपरा को महात्मा गांधी की हत्या के तुरंत बाद शुरू किया गया था लेकिन कुछ समय बाद इसे खत्म कर 11 बजे श्रद्धांजलि अर्पित करने का फैसला लिया गया. चलिए आपको बताते हैं क्या है सायरन परंपरा और क्यों इसे खत्म किया गया था.
क्या है सायरन परंपरा?
महात्मा गांधी को शाम ठीक 5 बजकर 17 मिनट पर सायरन बजाकर श्रद्धांजलि देने की परंपरा इसलिए शुरू की गई थी ताकि सभी लोग एक ही समय पर मौन का पालन कर सकें. इसे उनकी याद में किया जाता था. हालांकि, अभी भी कई जगहों पर इसे किया जाता है.
क्यों बंद की सायरन परंपरा?
स्कूल और सरकारी या निजी कार्यालय शाम 5 बजे तक बंद हो जाते हैं, इसलिए लोगों के लिए नियमों का पालन करना मुश्किल था. इसी को देखते हुए इस परंपरा को खत्म करने का फैसला किया गया था. अब इसके बदले सुबह 11 बजे इस परंपरा के बदले उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है.
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