Mahatma Gandhis Grandson Died: दक्षिण अफ्रीका में जन्म, बचपन में हुए रंगभेद का शिकार, जानें कौन थे अरुण गांधी
Mahatma Gandhis Grandson Died: दक्षिण अफ्रीका में जन्मे अरुण गांधी को वहां किशोरावस्था में रंगभेद के चलते मारपीट और अपमान का सामना करना पड़ा. हालांकि, महात्मा गांधी की सीख ने उन्हें सही राह दिखाई.
Arun Gandhi Died: महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का मंगलवार (2 मई) की सुबह निधन हो गया. महात्मा गांधी के पौत्र अरुण गांधी का 89 साल की उम्र में लंबी बीमारी के चलते निधन हुआ. अरुण गांधी के बेटे तुषार ने जानकारी देते हुए बताया कि उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को कोल्हापुर में किया जाएगा. अरुण गांधी ने कस्तूरबा- द फॉरगेटन वूमन, ग्रैंडफादर गांधी जैसी कई किताबें लिखी थीं.
अरुण गांधी का जन्म 1934 में दक्षिण अफ्रीका के डरबन में हुआ था. अरुण भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पांचवें पौत्र थे. दक्षिण अफ्रीका में परवरिश के दौरान उन्हें देश के भेदभाव वाले कानूनों की वजह से कई बार अपमान झेलना पड़ा. arungandhi.net वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, उन्हें कई बार अफ्रीका के 'गोरे' लोगों की ओर से रंगभेद का शिकार होना पड़ा. इतना ही नहीं, उन्हें अफ्रीका के काले लोगों की ओर से भी निशाना बनाया जाता था.
अपमान का बदला लेना चाहते थे अरुण, लेकिन गांधी के विचार ने...
किशोर अवस्था के दौरान दक्षिण अफ्रीका में अपने साथ हुई मारपीट और अपमान से गुस्से में भरकर अरुण गांधी ने बदला लेने का मन बनाया. हालांकि, अपने माता-पिता और दादा-दादी से उन्हें सीख मिली कि न्याय का मतलब बदला नहीं होता है. इसका मतलब अपने विरोधी को प्रेम और अपने कष्ट से बदलने की कोशिश करने से होता है.
महात्मा गांधी ने अरुण को हिंसा की बजाय अहिंसा को अपना हथियार बनाकर लड़ने की समझ दी. अरुण गांधी के मुताबिक, महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर हम जानते कि हम एक दूसरे के खिलाफ बिना जाने ही कितनी अघोषित हिंसा करते हैं तो हम समझ पाएंगे कि समाज और दुनिया में इतनी शारीरिक हिंसा क्यों है. अरुण गांधी की बायोग्राफी के मुताबिक, उन्होंने महात्मा गांधी से रोजाना मिलने वाली सीखों से हिंसा और गुस्से के बारे में जाना.
सामाजिक कामों और लेखन में लगता था मन
अरुण गांधी सामाजिक कामों के साथ ही लेखन में काफी काम करते रहे. उन्होंने अपनी पत्नी सुनंदा के साथ शादी के कुछ ही समय बाद दक्षिण अफ्रीका छोड़ दिया था. अरुण गांधी ने 30 सालों तक एक पत्रकार के तौर पर एक बड़े अखबार में काम किया था. अरुण गांधी और उनकी पत्नी सुनंदा ने महाराष्ट्र में 125 से ज्यादा अनाथ बच्चों को बचाया. इसके साथ ही उन्होंने पश्चिमी महाराष्ट्र के कई गांवों के लोगों की जिंदगियां बदलीं.
ये भी पढ़ें:
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का कोल्हापुर में 89 वर्ष की आयु में निधन