सभी युवा 'पत्थरबाज' नहीं, नफरत पैदा करने वाली चर्चाओं को ना दिखाए मीडिया : महबूबा
श्रीनदर : जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राष्ट्रीय मीडिया से कहा कि वह सभी कश्मीरी युवाओं को पथराव करने वालों की तरह चित्रित न करे. इस पर रोक लगाए और राज्य के लोगों के खिलाफ नफरत पैदा करने वाली चर्चाओं को ना दिखाए.
वर्ष 1947 के बाद से कश्मीर ने सबसे बुरे दिन देखे हैं
उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 के बाद से कश्मीर ने सबसे बुरे दिन देखे हैं. हालांकि, उन्होंने तनावग्रस्त घाटी में शांति लौटने की उम्मीद जताई. घाटी में पिछले करीब दो महीने से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. इसके साथ ही इस मामले में वे दिल्ली आकर प्रधानमंत्री से भी मुलाकात कर चुकी हैं.
जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ नफरत पैदा होती है
उन्होंने कहा, ‘मैं राष्ट्रीय मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आग्रह करती हूं कि वह टेलीविजन पर ऐसी चर्चाएं ना दिखाए जिससे देशभर में जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ नफरत पैदा होती है. कुछ लोग है जो पथराव करते हैं लेकिन कश्मीर के सभी युवा पथराव करने वाले नहीं हैं.’
हम सभी जम्मू कश्मीर में स्थिति को लेकर चिंतित हैं : महबूबा
महबूबा ने यहां सिविल सचिवालय खोले जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘हम सभी जम्मू कश्मीर में स्थिति को लेकर चिंतित हैं. लेकिन, हमें यह जानना चाहिए कि यह पहली बार नहीं हुआ. वर्ष 1947 के बाद से कई बार जम्मू कश्मीर को बुरे दौर से गुजरना पड़ा है. आज हम फिर दोराहे पर खड़े हैं.’
छह महीने यहां से और सर्दियों में छह महीने जम्मू से होता है
जम्मू कश्मीर में सिविल सचिवालय का कामकाज गर्मियों में छह महीने यहां से और सर्दियों में छह महीने जम्मू से होता है. महबूबा ने 1950 से कश्मीर में शुरू हुए जनमत संग्रह आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि यह 22 वर्षों तक चलता रहा, लेकिन नेतृत्व समझता है कि यह मुद्दा हिंसा से नहीं सुलझाया जा सकता.
कई बार आतंकवाद बढ़ जाता है और कई बार यह घट जाता है
उन्होंने कहा, ‘इंदिरा-शेख समझौता हुआ, 1990 से फिर स्थिति गंभीर हो गई. कई बार आतंकवाद बढ़ जाता है और कई बार यह घट जाता है.’ उन्होंने स्थिति के फिर से सुधरने की उम्मीद जताई. साथ उन्होंने बातचीत पर जोर दिया. इससे पहले भी वो कह चुकी हैं कि हिंसा से समाधान नहीं होता है.