Mahua Moitra Lok Sabha Membership: कैश फॉर क्वेरी मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता शुक्रवार (08 दिसंबर) को रद्द कर दी गई. लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश की थी. हालांकि इस तरह का ये पहला मामला नहीं है जब किसी सांसद को अपनी संसद सदस्यता गंवानी पड़ी हो. अब तक 14 ऐसे सांसद हैं जिन्हें अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है.


पहला मामला तो आजादी के 4 बाद ही पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जमाने में ही आया था. जब कांग्रेस सांसद एचजी मुदगल पर बिजनेसमैन से पैसे और गिफ्ट लेकर सवाल पूछने के चलते अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी. इसके बाद सोमनाथ चटर्जी के जमाने में भी 11 सांसद ऐसे रहे जिन्हें इसी तरह के मामले में अपनी संसद सदस्यता गंवानी पड़ी. इस बात का जिक्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी किया.


जवाहरलाल नेहरू के जमाने का मामला


साल 1951 में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिने जाने वाले एचजी मुदगल ने एक बिजनेसमैन से संसद में सवाल पूछने के बदले 5 हजार रुपये लिए थे. इस मामले को लेकर एक स्पेशल पांच सदस्यीय जांच समिति गठित की गई. इस समिति ने मुदगल के खिलाफ लगे आरोपों को सही पाया और उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. पहले तो मुदगल अपने लगे आरोपों पर साफ मुकर गए लेकिन बाद में उन्होंने पंडित जवाहल लाल नेहरू के सामने स्वीकार किया था कि जिस तरह का प्रचार किया जा रहा है कि उन्हें 20 हजार रुपये मिले, ये सही नहीं है. हां उन्हें 2700 रुपये मिले थे.






सोमनाथ चटर्जी के जमाने का मामला


दरअसल, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपने फैसले में 18 साल पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें नोट फॉर क्वेरी मामले में साल 2005 में सोमनाथ चटर्जी ने इसी तरह के आरोपों लेकर 11 सांसदों की सदस्यता रद्द कर दी थी.


18 साल पहले साल 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार के दौरान एक स्टिंग ऑपरेशन सामने आया था जिसमें कथित तौर पर पैसे के बदले एक कंपनी को बढ़ावा देने के लिए संसद में सांसदों ने सवाल पूछने की इच्छा दिखाई थी. फिर इन सांसदों ने संसद में सवाल भी पूछे.


इसमें जो सांसद फंसे थे उनमें से 6 सांसद- छत्रपाल सिंग लोढ़ा, चंद्र प्रताप सिंह, सुरेश चंदेल, प्रदीप गांधी, अन्ना साहेब एमके पाटिल और जी महाजन बीजेपी के थे और 3 सांसद- राजा राम पाल, नरेंद्र कुमार कुशवाहा और लाल चंद्र कोल बीएसपी के. इसके अलावा एक-एक सांसद- मनोज कुमार आरजेडी और राम सेवक सिंह कांग्रेस के थे.


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