Mahua Moitra Expelled: पैसे लेकर सवाल करने के मामले में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता शुक्रवार (8 दिसंबर) को रद्द कर दी गई. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे लोकसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दी. इसको लेकर लोकसभा में चर्चा के दौरान सरकार पर नियमों को लेकर कई सवाल उठाए गए. इसका जवाब बीजेपी ने सदन में और बाहर दिए हैं. 


मनीष तिवारी ने क्या सवाल उठाए?
कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी ने कहा कि वकालत पेशे में 31 साल के करियर में उन्होंने जल्दबाजी में बहस जरूर की होगी, लेकिन सदन में जितनी जल्दबाजी में उन्हें चर्चा में हिस्सा लेना पड़ रहा है, वैसा कभी उन्होंने नहीं देखा. 


तिवारी ने कहा, ‘‘आसमान नहीं टूट पड़ता, यदि हमें तीन चार-दिन दे दिये जाते, ताकि हम (रिपोर्ट) पढ़कर सदन के समक्ष अपनी बात रखते.’’उन्होंने कहा, ‘‘समिति ये तो सिफारिश कर सकती है कि कोई व्यक्ति गुनहगार है या नहीं, लेकिन सजा क्या होगी, इसका फैसला सदन ही कर सकता है. समिति सदस्यता रद्द करने का निर्णय कैसे ले सकती है.’’


बीजेपी और लोकसभा स्पीकर ने दिया ये जवाब
बीजेपी सांसद अपराजिता सांरगी ने कहा कि यह विषय अहम है क्योंकि संसद की मर्यादा और संवैधानिक प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है. आचार समिति की सदस्य अपराजिता ने दावा किया कि महुआ मोइत्रा ने समिति की बैठक में असंवैधानिक शब्दों का प्रयोग किया था और उन्होंने बैठक से वॉकआउट किया था. 


मनीष तिवारी के सवाल पर ओम बिरला ने कहा कि यह संसद है न कि अदालत. उन्होंने कहा, ‘‘यह संसद है न कि कोर्ट है. मैं न्यायाधीश नहीं हूं, सभापति हूं...यहां मैं निर्णय नहीं कर रहा, बल्कि सभा निर्णय कर रही है.’’


महुआ मोइत्रा को क्यों नहीं दिया गया मौका?
सदन में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से कहा कि मोइत्रा को उनका पक्ष रखने का मौका दिया जाए.  सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ''निष्पक्ष सुनवाई तब होती है जब प्रभावित व्यक्ति को सुना जाता है.’’


संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी  ने दिया ये तर्क
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सुदीप बंदोपाध्याय के तर्क का जवाब देते हुए कहा,‘‘लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के समय 10 लोगों को निष्कासित किया गया था. उस समय चटर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आरोपी सांसद कमेटी के समक्ष पेश हुए, ऐसे में इन्हें सदन में बोलने का अधिकार नहीं है.’’


कोई सबूत नहीं है-महुआ मोइत्रा
सदन की सदस्यता से निष्कासित किये जाने पर मोइत्रा ने कहा, ''उन्हें उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है और उन्हें नकदी या उपहार दिए जाने का कोई सबूत नहीं है.'' उन्होंने आगे कहा कि कंगारू कोर्ट ने जल्दबादी में फैसला अडानी ग्रुप के कारण लिया है. 


प्रह्लाद जोशी ने दिया ये जवाब
प्रह्लाद जोशी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए विपक्ष और महुआ मोइत्रा के आरोपों को लेकर कहा कि ये महिला से जुड़ा मामला नहीं है. उन्होंने (महुआ मोइत्रा) ने खुद स्वीकार किया है कि कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से गिफ्ट मिले हैं. 


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