Mahua Moitra Life Story: आज पूरे देश में अगर किसी एक शख्स की सबसे ज्यादा चर्चा है तो वह हैं पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी की निवर्तमान सांसद महुआ मोइत्रा. आम लोगों के वोट से चुनकर संसद में पहुंची मोइत्रा पर आरोप बेहद गंभीर हैं. संसद में सवाल पूछने के लिए एक कारोबारी से रुपये लेने के आरोपों की जांच के बाद संसद की एथिक्स कमेटी की सिफारिश के मुताबिक उनकी संसद सदस्यता छीन ली गई है. इस पर पूरा विपक्ष महुआ के साथ खड़ा हो गया है.


असल में महुआ की जिंदगी के कई ऐसी दिलचस्प पहलू हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. वह पहले एक सफल बैंकर थीं और करोड़ों रुपये सालाना की नौकरी छोड़कर राजनीति में आईं. अब उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया है. राजनीति के 14 सालों के सफर में उन्हें कई उतार चढ़ाव देखने पड़े हैं. पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की कृष्णानगर लोकसभा सीट से पहली बार संसद पहुंचीं मोइत्रा को जिस तरह से पूरे विपक्ष का समर्थन मिला है. 


एथिक्स कमेटी ने अनैतिक और अशोभनीय आचरण का लगाया आरोप
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट में उन्हें ‘अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण’ के लिए जिम्मेदार ठहराया गया जिससे उनके निष्कासन का रास्ता बना. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हंगामेदार चर्चा के बाद लोकसभा में मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. चर्चा में मोइत्रा को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. अपने निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए मोइत्रा ने इस फैसले की तुलना ‘कंगारू अदालत’ से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को, विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है.


असम में हुआ था जन्म, कांग्रेस से हुई राजनीति की शुरुआत
असम के कछार जिले में साल 1974 में जन्मी मोइत्रा की शुरुआती शिक्षा कोलकाता में हुई और फिर वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गयीं. न्यूयॉर्क और लंदन में जेपी मॉर्गन चेज में इन्वेस्टमेंट बैंकर रहीं मोइत्रा ने राहुल गांधी की ‘‘आम आदमी का सिपाही’’ पहल से प्रेरित हो कर राजनीति का रुख किया था. उन्होंने साल 2009 में कांग्रेस की युवा इकाई में शामिल होने के लिए लंदन में अपना हाई-प्रोफाइल बैंकिंग करियर त्याग दिया. कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई में तैनात की गयीं मोइत्रा ने पार्टी के नेता सुब्रत मुखर्जी के साथ निकटता से काम किया.


2010 में बनी तृणमूल का हिस्सा
पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा की सरकार के खिलाफ बदलाव की बयार के बीच मोइत्रा और मुखर्जी 2010 के कोलकाता नगर निगम चुनाव से महज कुछ दिन पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2011 में राज्य में जीत हासिल की.


2016 में बनी थीं विधायक
2011 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी से टिकट न मिलने के बावजूद मोइत्रा ने धैर्यपूर्वक इंतजार किया और 2016 के विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने पर करीमपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की. उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया लेकिन उनके ओजस्वी भाषण और वाद-विवाद कौशल ने उन्हें राष्ट्रीय मीडिया में पार्टी की प्रमुख प्रवक्ता बना दिया.


पहली बार सांसद चुनी गईं महुआ
मोइत्रा को 2019 में कृष्णानगर लोकसभा सीट से टिकट मिला और वह विजयी हुईं. ज्यादा अनुभव न होने के बावजूद संसद में मोइत्रा के जोशीले भाषणों ने उन्हें राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया और वह टेलीविजन पर होने वाली बहसों में टीएमसी की तरफ से सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता बन गयीं.


बांग्ला मीडिया ने किया था बहिष्कार
अपने मन की बात कहने के लिए पहचानी जाने वाली मोइत्रा को अकसर संगठन के मामलों में पार्टी से मतभेदों का सामना करना पड़ा और ममता बनर्जी ने उन्हें सार्वजनिक रूप से फटकार भी लगायी. पिछले दो साल में विवाद मोइत्रा का पर्याय बन गए जिसमें पत्रकारों को ‘‘दो कौड़ी’’ का बताने वाली टिप्पणी भी शामिल हैं जिसके कारण स्थानीय बांग्ला मीडिया ने लंबे समय तक उनका बहिष्कार किया था.


देवी काली को लेकर की थी विवादित टिप्पणी
उन्होंने पिछले साल एक सम्मेलन में देवी काली को मांस खाने वाली और शराब पीने वाली कह कर देशभर में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था. राजद्रोह कानून की मुखर विरोधी मोइत्रा कानूनी लड़ाइयों में भी सक्रियता से शामिल रही हैं. 


कैश फॉर क्वेरी विवाद में लड़ रही हैं कानूनी लड़ाई
उन्होंने उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका भी दायर की हुई है. ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले के बीच मोइत्रा ने कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार को चुनौती देने की वजह से परेशान किया गया. उन्होंने भारी जनादेश के साथ संसद में लौटने का संकल्प जताया.


भले ही इस विवाद से सांसद के रूप में उनका पहला कार्यकाल अचानक समाप्त हो गया लेकिन टीएमसी के शीर्ष नेतृत्व के अटूट समर्थन के साथ पार्टी के भीतर उनका कद निश्चित रूप से बढ़ा है. विपक्ष भी मोइत्रा के साथ है. बीजेपी के खिलाफ हमले बोलने के दौरान कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का उनके साथ खड़े रहना, भारतीय राजनीति के जटिल क्षेत्र में मोइत्रा के प्रभाव को दर्शाता है.


(एजेंसी इनपुट के साथ)


ये भी पढ़ें:Cash-For-Query: प्रियंका कक्कड़ ने महुआ मोइत्रा के निष्काषण को बताया बीजेपी की साजिश, कहा- 'AAP टीएमसी नेता के साथ