15 अगस्त को लाल क़िले पर होने वाला स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह इस साल कोरोना महामारी के बीच सम्पन्न होगा. ज़ाहिर है कोरोना के सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए समारोह का आयोजन होगा. ऐसे में इस बार का आयोजन काफ़ी बदला हुआ नज़र आएगा. सबसे बड़ा बदलाव ये होगा कि प्रधानमंत्री समेत लालकिले पर मौजूद सभी अतिथि और अन्य लोग मास्क लगाए नज़र आएंगे.


लाल किले पर होने वाले औपचारिक समारोह की शुरुआत से पहले हर साल की तरह पीएम राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे. पीएम सुबह 7.06 बजे राजघाट पहुंचेंगे. राजघाट पर सोशल डिस्टेंशिंग के प्रोटोकॉल का सख़्ती से पालन किया जाएगा. पीएम के आने के एक घन्टा पहले राजघाट को पूरी तरह सैनिटाइज किया जाएगा. सैनिटाइज़ होने के बाद किसी को भी राजघाट परिसर में अंदर जाने की इजाज़त नहीं मिलेगी. राजघाट पर पीएम मोदी 8 मिनट रुकने के बाद 7.14 बजे लालकिला के लिए रवाना हो जाएंगे.


राजघाट से निकलकर सुबह 7.18 बजे पीएम मोदी लालकिला पहुंचेंगे. महामारी के चलते इस बार लालकिले का नज़ारा बिल्कुल बदला बदला सा नज़र आने वाला है. प्रधानमंत्री के लाल किला पहुंचने के बाद उनकी अगुवाई रक्षा मंत्री , रक्षा राज्य मंत्री , रक्षा सचिव और सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग ( दिल्ली एरिया ) करते हैं. स्वागत करते वक्त चारों गणमान्य प्रधानमंत्री का नमस्कार और हाथ मिलाकर अभिवादन करते हैं. इसके बाद पीएम लालकिले की प्राचीर पर जाते वक़्त तीनों सेनाओं के प्रमुखों की भी सलामी लेने के अलावा हाथ मिलाते हैं लेकिन इसबार ऐसा नहीं हो पाएगा. इस बार हाथ मिलाने की पूरी तरह मनाही रहेगी.


प्रधानमंत्री ठीक 7.30 बजे क़िले की प्राचीर से तिरंगा फहराएंगे जिसके बाद उनका भाषण शुरू होगा. लालक़िले की प्राचीर पर जहां ध्वजारोहण करने के बाद प्रधानमंत्री राष्ट्र को सम्बोधित करते हैं उसके दोनों तरफ़ हर साल क़रीब 800 विशिष्ट मेहमानों के बैठने के लिए कुर्सियां लगाई जाती हैं. इनमें केंद्र सरकार के मंत्री , मुख्य न्यायाधीश और सभी देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार के चुनिंदा अधिकारी शामिल होते हैं. कोरोना से जुड़े प्रतिबंधों के चलते इस बार भाषण मंच के दोनों तरफ़ केवल 100 - 125 लोगों के बैठने की व्यवस्था की जाएगी. ज़ाहिर है इस कटौती के चलते कई गणमान्य लोगों को आमंत्रित नहीं किया जाएगा. इन सभी अतिथियों को कहा गया है कि अगर पिछले 14 दिनों में कोरोना का कोई भी लक्षण दिखा हो समारोह में न आएं.


भाषण मंच के सामने लालकिला मैदान में हर साल दिल्ली के अलग अलग स्कूलों के 4200 बच्चों को तिरंगा के तीनों रंगों के कपड़ों में बिठाया जाता है. कार्यक्रम का समापन होने के बाद हर साल उन बच्चों से मुलाक़ात करते प्रधानमंत्री की तस्वीर हम सबने देखी है. इस साल शायद वो नज़ारा देखने को न मिले. अव्वल तो , इस साल 4200 बच्चों की जगह केवल 500 एनसीसी कैडेटों को ही बैठाया जाएगा. दूसरे , सोशल डिस्टेंशिंग के प्रोटोकॉल के चलते इन बच्चों से पीएम उस तरह से घुल मिल कर मुलाक़ात नहीं कर पाएंगे जैसा पहले से करते आए हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक़ तिरंगा के रंगों वाले कपड़े पहने कुछ बच्चों को बिठाने का अंतिम क्षण में फ़ैसला हो भी सकता है.


कोरोना से खौफ़ और उससे सतर्कता का आलम ये है कि छोटी छोटी बातों का भी ख़्याल रखा जा रहा है. यही वजह है कि जिन पुलिसवालों और सुरक्षाकर्मियों की उस दिन कार्यक्रम में ड्यूटी लगाई गई है उन्हें पिछले 14 दिनों से क्वारन्टीन किया गया है. इन सभी जवानों को कोरोना जांच में निगेटिव आने के बाद ही ड्यूटी पर लगाया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक़ हर जवान के बदले एक जवान को स्टैंड बाई पर रखा गया है ताकि अचानक ज़रूरत पड़ने पर दिक्कत न हो.