मुंबईः खुले मेनहोल्स की शक्ल में मौजूद हैं BMC की लापरवाही के नमूने, बन रहे हैं जानलेवा
एबीपी न्यूज के मुंबई शहर के अलग अलग इलाकों का दौरा करने के दौरान सायन, कुर्ला, भांडुप, गोरेगांव, पवई और जोगेश्वरी इलाकों में कई खुले मेनहोल दिखाई दिए.
मुंबईः मुंबई महानगर पालिका वैसे तो देश की सबसे अमीर महानगरपालिका है, लेकिन इस महानगर में लोगों की जान इस वजह से भी जाती है कि सड़क और सड़क किनारे बने मेनहोल्स पर ढक्कन नहीं हैं. बीती रात मुंबई के गोरेगांव इलाके में खुले नाले में डेढ़ साल का बच्चा गिर गया जिसका अबतक पता नही चल सका है. 2017 में बारिश के दौरान खुले मेनहोल में गिरकर बॉम्बे होस्पिटल के एक वरिष्ठ डॉक्टर की मौत के बाद भी मुंबई महानगरपालिका के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है.
एबीपी न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि मुंबईभर में अब भी कई मेनहोल खुले पड़े हुए हैं. सड़क और फुटपाथों पर मौजूद बिना ढक्कन के ये मेनहोल राह चलते लोगों के लिये किसी मौत के कुएं से कम नहीं हैं. ये हाल तब है जब बीते 10 सालों में बीएमसी इस काम के लिये 7 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.
एबीपी न्यूज के शहर के अलग अलग इलाकों का दौरा करने के दौरान सायन, कुर्ला, भांडुप, गोरेगांव, पवई और जोगेश्वरी इलाकों में कई खुले मेनहोल दिखाई दिए. ताज्जुब की बात ये है कि कई मेनहोल बांद्रा पूर्व इलाके में उस जगह भी थे जहां से कुछ कदमों के फासले पर ही शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का घर है. वही शिवसेना जिसकी बीएमसी पर बीते 20 सालों से सत्ता है और जो इन मेनहोल्स को ढकने के लिये जिम्मेदार है.
भांडुप में दिलीप शेट्टी नाम के एक शख्स ने बताया कि बीते हफ्ते जब भारी बारिश हो रही थी तब सड़क किनारे भरे पानी की वजह से एक कॉलेज की छात्रा खुले हुए मेनहोल को देख न सकी और उसमें गिर पड़ी. खुशनसीबी से कुछ स्थानीय लोग उस वक्त वहां मौजूद थे, जिन्होंने तुरंत उस लड़की को बाहर निकाला. लोगों का कहना है कि खुले हुए मेनहोल्स के बारे में बीएमसी को बार बार शिकायत की जाती है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता. जब भी मेनहोल से जुड़ा कोई हादसा होता तब हंगामा होता है और जांच के नाम पर खानापूर्ति होती है. मुम्बई में जगह जगह मेनहोल की शक्ल में मौत मौजूद है.
नियमों के मुताबिक अगर कोई मेन होल खुला है तो राहगीरों को जानकारी देने के लिये वहां किसी तरह का झंडा या संकेत लगाया जाना चाहिये या फिर किसी कर्मचारी को खड़ा रखना चाहिए लेकिन मुंबई के तमाम खुले मेनहोल पर ऐसा कुछ भी नहीं था.
29 अगस्त 2017 को जब मुम्बई में भारी बारिश हुई थी तब लोअर परेल इलाके में पेट की बीमारियों के मशहूर डॉक्टर दीपक अमरापुरकर की खुले मेनहोल में गिरकर मौत हो गयी थी. उस हादसे के दो साल बाद भी मुंबई में खुले मेनहोल्स नजर आ रहे हैं. मुंबई में अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम के लिये बीएमसी बीते 10 सालों में 7 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, जिसमें इन मेनहोल्स का रखरखाव भी शामिल है. सवाल ये उठता है कि इतना पैसा खर्च करने के बावजूद भी मेन होल्स खतरनाक हालत में क्यो हैं. इस बारे में मुंबई के मेयर विश्वनाथ म्हाडेश्वर से सवाल किया गया तो उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं था.
मुंबई में खुले हुए मेन होल्स एक बार फिर यही बताते हैं कि बीएमसी अपनी हर जिम्मेदारी में नाकाम रही है, फिर चाहे वो शहर से गंदगी हटाने की जिम्मेदारी हो, सडकों के गड्ढे भरने की जिम्मेदारी हो या फिर अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी हो.