उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी ने रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को टिकट दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये लोकसभा सीट खाली हुई है.
सपा के लिए इस चुनाव में जितना मुलायम सिंह यादव की विरासत बचाने की चुनौती है तो वहीं अखिलेश यादव को इस सीट को जीतकर ये संदेश भी देना है कि उनका परिवार ही मुलायम सिंह यादव का असली उत्तराधिकारी है. वहीं बीजेपी के पास सपा के गढ़ में परचम लहराने का ये एक मौका है. मैनपुरी से बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य ने तो नामांकन भरने से पहले कहा कि मुलायम सिंह यादव उनके नेता हैं, और शिवपाल राजनीतिक गुरु... इतना ही नहीं शाक्य ने मुलायम सिंह यादव की समाधि पर भी माथा टेका.
मतलब साफ है कि मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की विरासत पर दावे का जो संदेश अखिलेश पार्टी और परिवार को देना चाहते हैं, उसको चुनौती रघुराज सिंह शाक्य भी दे रहे हैं.
वहीं मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में दो बड़ी धारणाएं देखने को मिल रही हैं जिसमें पहली ये कि शिवपाल जिस ओर जाएंगे उस पार्टी का पलड़ा भारी होगा. हालांकि प्रगतिशील समाजवारी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल ने डिंपल यादव को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया है.
बीते गुरुवार को अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने सैफई पहुंचकर शिवपाल यादव से मुलाकात की थी और उपचुनाव में अपने लिए समर्थन मांगा था. शिवपाल यादव से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया और कहा कि नेताजी और घर के बड़ो के साथ साथ मैनपुरी की जनता का आर्शीवाद साथ है.
इसके बाद शिवपाल यादव ने भी ट्वीट किया और अखिलेश और डिंपल यादव के साथ मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि 'जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने..उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से..' इससे पहले डिंपल के नामांकन के दौरान भी शिवपाल यादव का नजर ना आना समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी मुश्किल बन गया था.
लेकिन मैनपुरी में एक दूसरा फैक्टर बीएसपी के वोटरों का भी है. इस सीट पर बीएसपी एक बार 2 लाख के करीब वोट पा चुकी है. यूपी में यादवों और दलितों के बीच अदावत पुरानी रही है. बीएसपी ने मैनपुरी से प्रत्याशी न उतार कर सीधा-सीधा सपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी है.
मैनपुरी लोकसभा सीट पर वोटों का गणित
मैनपुरी में यादव मतदाता सबसे ज्यादा हैं. इसके बाद शाक्य वोटर आते हैं. सपा के इस गढ़ में यादव वोटरों की संख्या करीब 5 लाख है, तो वहीं शाक्य वोटरों की संख्या करीब सवा 3 लाख. दलित वोटरों की संख्या 2 लाख है और 2 लाख के करीब ही ठाकुर मतदाता हैं. इसके अलावा 1 लाख के करीब ब्राह्मण वोटर हैं. 2 लाख दलित वोटर्स में से करीब डेढ़ लाख वोटर जाटव समुदाय के हैं तो वहीं 1 लाख लोधी और 50 हजार के करीब वैश्य समाज के मतदाता हैं. इसके साथ ही इसी सीट पर 1 लाख वोट मुस्लिम समाज के भी हैं.
मुस्लिम और यादवों को 6 लाख वोट हो जाते हैं. इन्हीं दो समाज के लोगों के वोट हासिल कर साल 1996 से लेकर अब तक सपा इस सीट से जीत दर्ज करती आ रही है. बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह को यदि शाक्य के साथ-साथ जो कि 3 लाख के आसपास हैं के अलावा अन्य जातियों का वोट मिलता है, तो डिंपल के लिए कड़ी चुनौती साबित हो सकती है.
बीएसपी क्या चाहती है
दरअसल बीेएसपी सुप्रीमो मायावती को पता है कि यूपी में दोबारा पैठ बनाने के लिए जातीय समीकरणों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी का भी कमजोर होना जरूरी है. ऐसे में जरूरी है कि दलितों के साथ-साथ मुस्लिमों को भी पाले में किया जाए. लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब समाजवादी पार्टी बार-बार बीजेपी से हारे मुसलमानों में ये संदेश जाए कि बीजेपी को टक्कर देने अखिलेश के वश की बात नहीं है. और बीजेपी को मदद करने की तोहमत झेल रही बीएसपी अब साख बचाने के लिए पहले समाजवादी पार्टी को कमजोर करना चाहती है.
अखिलेश के लिए व्यक्तिगत प्रतिष्ठा सवाल
अब चुनाव में सपा की जीत अखिलेश की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जुड़ी है. ऐसा इसलिए भी कि अखिलेश के गढ़ में सपा अगर हारी तो यह उसकी व्यक्तिगत क्षति होगी. पर यहां बीजेपी अगर सपा से सीट छीन लेती है तो यह उसके लिए अतिरिक्त लाभ माना जाएगा.
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि समाजवादी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव मैदान में हैं. पिछले चुनाव के परिणाम से सीख लेते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष मैनपुरी और रामपुर सीट पर रणनीति बना रहे हैं. खुद प्रचार करने जायेंगे. परिवार की एकता के लिए तेज प्रताप और धर्मेंद्र यादव को लगाया गया है.
उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ पत्रकार संदीप पांडे कहते हैं कि यूपी की तीनों सीटों पर हो रहे उपचुनाव सत्तारूढ़ और विपक्षी दल के लिए महत्वपूर्ण है. इसके नतीजे लोकसभा चुनाव की दशा दिशा तय करेंगे. ये चुनाव एक प्रकार से सभी दलों के लिए लिटमस टेस्ट साबित होंगे.
बीएसपी यूपी में इसी रणनीति के तहत काम कर रही है और वह हर चुनाव में ऐसे ही समीकरण बनाती है, जिससे सपा की हार हो. आजमगढ़ में प्रत्याशी उताकर और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में प्रत्याशी न उतारकर समाजवादी पार्टी के समीकरण बिगाड़ दिए.
बीजेपी को पता है मैनपुरी की अहमियत
मैनपुरी में मुलायम की विरासत और रामपुर में आजम की सियासत दांव पर है. खतौली सीट विधायक की सदस्यता जाने से उसे वापस लेने का दबाव बीजेपी पर है. राजनीतिक पंडितों की मानें तो बीजेपी और सपा के लिए यह तीनों सीटों के उपचुनाव परसेप्शन की लड़ाई है.
मैनपुरी में यादव बाहुल्य होने के कारण बीते ढाई दशक से मुलायम परिवार का कब्जा रहा है. बीजेपी 2024 के हिसाब से यादव लैंड कहे जाने वाले इन क्षेत्रों पर काफी दिन से काम कर रही है. इसी कारण उसने पहले एटा से हरनाथ यादव को राज्यसभा भेजने के बाद सुभाष यदुवंश को युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया था. फिर एमएलसी बनाकर इस वोट बैंक को अपनी ओर खींचने के प्रयास में लगी है.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 80 सीटों का ख्वाब देख रही है. जिसे हासिल करने के लिए उसने एक बड़ी लकीर खींची है. 2022 विधानसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी की नजर सपा के कोर यादव वोटबैंक पर है. बीजेपी ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के जरिए सपा के मजबूत आजमगढ़ में जीतने के बाद 2024 में यादव बेल्ट में भी 'कमल' खिलाने की रणनीति बनाई है. ऐसे में मुलायम के करीबी रहे चौधरी हरिमोहन यादव के पुण्यतिथि के जरिए बीजेपी मिशन 2024 को पूरा करने के लिए सपा के यादव वोट बैंक में सेंधमारी करने का चक्रव्यूह रचा है.
बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की मानें तो कानपुर से लेकर इटावा, कन्नौज, फरुर्खाबाद, फिरोजाबाद और आगरा तक एक समय चौधरी हरमोहन सिंह का यादव वोट बैंक पर दबदबा रहा है. विधानसभा चुनाव में हरमोहन के पौत्र मोहित यादव को बीजेपी में शामिल कर अपने पक्ष में महौल बनाने का प्रयास हुआ. इसके बाद हरमोहन की पुण्य तिथि में पीएम का वर्चुअल शामिल होना यादव वर्ग के लिए बड़ा संदेश था. इसके साथ ही यादव वोटों को साधने में जुटी बीजेपी ने जौनपुर सीट से जीते गिरीश यादव को मुख्यमंत्री योगी ने अपनी मंत्री परिषद में दोबारा जगह दी है.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट उपचुनाव में सपा को हराने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. हाल ही में गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट पर पार्टी फिर सपा को मात दे चुकी है. अब नजरें मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीटों पर हैं. मैनपुरी में बीजेपी की कोशिश किसी भी तरह गैर यादव और गैर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने की है. प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल पिछले दिनों मैनपुरी में कार्यकर्ताओं का फीडबैक लेने के साथ ही पूरी ताकत से चुनावी तैयारियों में तेजी से जुटने को कहा है. बीजेपी को पता है कि अगर इन चुनावों में जीत हासिल कर ली तो लोकसभा चुनाव तक जोश बरकरार रहेगा.