अनुज सूद ने IIT सेलेक्शन छोड़ सेना को चुना, आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद, शौर्य चक्र से सम्मानित
मेजर अनुज सूद के बारे में कहा जाता है कि बचपन से ही बेहद बेहतरीन छात्र रहे. उन्होंने पंजाब पब्लिक स्कूल, नाभा से पढ़ाई की. पीपीएस में हर क्लास में मेजर अनुज सूद ने खुद को अव्वल साबित किया.
जम्मू और कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में 2 मई 2020 को कर्नल, मेजर और 3 जवान शहीद हो गए. भारत मां के जिन पांच बेटों ने अपने प्राण देश की रक्षा के लिए न्योछावर किए उनमें एक नाम मेजर अनुज सूद का भी था. मेजर अनुज जूद को मरणोपरांत गणतंत्र दिवस के अवसर पर शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा.
17 दिसंबर 1989 को कर्नाटक के बेंगलुरू में पैदा हुए अनुज सूद ने मई 2018 में नेशनल डिफेंस अकैडमी (एनडीए) खड़गवासला में प्रवेश लिया था. उन्होंने 9 जून 2012 को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से कमीशन प्राप्त किया था.
मेजर अनुज सूद के बारे में कहा जाता है कि बचपन से ही बेहद बेहतरीन छात्र रहे. उन्होंने पंजाब पब्लिक स्कूल, नाभा से पढ़ाई की. पीपीएस में हर क्लास में मेजर अनुज सूद ने खुद को अव्वल साबित किया. होनहार अनुज सूद का चयन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में हो गया था, लेकिन उन्होंने आईआईटी की जगह एनडीए को चुना. यहीं से उनकी शौर्य गाथा शुरू होती है.
मेजर अनुज सूद की शादी 2 साल पहले हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की रहने वाली आकृति से हुई थी. अभी उनका कोई बच्चा नहीं है. मेजर सूद की पत्नी पुणे में एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं. मेजर अनुज सूद को तीन मई को घर लौटना था लेकिन सैनिक के लिए परिवार से पहले देश आता है. जब वतन ने मेजर अनुज को पुकारा तो वह परिवार को भूल देश सेवा में लग गए.
मेजर अनुज सूद के पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर चंद्रकांत सूद बेटे को याद करते हुए भावुक होते हैं, लेकिन कहते हैं कि उनके बेटे ने अपना फर्ज निभाया है. उन्होंने एक चैनल से बात करते हुए कहा,''उसे 22 मार्च को आना था मगर लॉकडाउन की वजह से छुट्टी कैंसिल हो गई. 3 मई को उसकी फ्रेश लीव लगी थी, उसे घर आना था. वीर सैनिक जो शहीद होते हैं. खून बहाने से बड़ा योगदान तो कोई नहीं दे सकता." उन्होंने कहा, "ये तो उनके बेटे का कर्तव्य था, जो उन्होंने निभाया. उनका काम ही था कि वो लोगों की जान बचाएं."