सेना के एकीकरण के लिए जनरल बिपिन रावत ने किया मुख्यालय का पुनर्गठन, रक्षा मंत्रालय को सौंपा रिस्ट्रक्चर का प्लान
रक्षा मंत्रालय से इस प्लान को पीएमओ भेजा जायेगा जहां पर प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली अपॉइटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट (यानि एसीसी) इसे हरी झंडी देगी. पुनर्गठन के बाद तीन उपसेना प्रमुख हो जाएंगे.
नई दिल्ली: डोकलाम विवाद के दौरान भारतीय सेना को 'ऑपरेशनल प्लान' बनाने में खासी दिक्कत आई थी. यही वजह है कि थलसेना प्रमुख, जनरल बिपिन रावत ने तुरंत बाद सेना मुख्यालय के पुनर्गठन के आदेश दिए थे. फिलहाल, सेना मुख्यालय को 'रिस्ट्रक्चर' करने के लिए सरकार के मंजूरी की देरी है.
सूत्रों के मुताबिक, डोकलाम विवाद के दौरान थलसेना प्रमुख को सेना मुख्यालय में ही तैनात इंटेलीजेंस, ऑपरेशन्स, लॉजिस्टिक्स और मीडिया विंग से अलग-अलग तरह की जानकारी मिल रही थी. कभी-कभी तो ये जानकारी 'ओवरलैप' कर रही थी. सूत्रों के मुताबिक, ये ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि सेना मुख्यालय में अलग-अलग 'वर्टिकल' काम कर रहे थे. जो अपने अपने तरीके से काम करते हैं और उनमे एकीकरण की कमी दिखाई पड़ती है. इसीलिए, थलसेना में एकीकरण के लिए जनरल बिपिन रावत ने सेना मुख्यालय को 'रिस्सट्रक्चर' करने की एक स्टडी तैयार कराई है.
पुनर्गठन के बाद तीन उपसेना प्रमुख हो जाएंगे
सूत्रों के मुताबिक, सेना ने मुख्यालय के पुनर्गठन का प्लान रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया है. रक्षा मंत्रालय से इस प्लान को पीएमओ भेजा जायेगा जहां पर प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली अपॉइटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट (यानि एसीसी) इसे हरी झंडी देगी. क्योंकि नए पुनर्गठन में सेना मुख्यालय में एक डिप्टी चीफ का अतिरिक्त पद भी बनाया जायेगा. अभी तक थलसेना में डिप्टी चीफ (उपसेना प्रमुख) के दो पद हैं. लेकिन पुनर्गठन के बाद तीन उपसेना प्रमुख हो जाएंगे.
जानकारी के मुताबिक, ये तीसरा पद 'उपसेना प्रमुख (स्ट्रेटेजी)' के नाम से जाना जायेगा. इस उपसेना प्रमुख के अंतर्गत डीजीएमओ यानि डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स, डीजीएमआई (डायरेक्टर जनरल ऑफ इंटेलीजेंस), डीजी ऑप-लॉजेस्टिक और डीजी इंफो वॉरफेयर काम करेंगे. अभी तक डीजीएमओ और डीजीएमआई सीधे थलसेना प्रमुख को रिपोर्ट करते हैं. डीजी ऑप-लॉजिस्टिक वाईस चीफ (सहसेना प्रमुख) को रिपोर्ट करते हैं.
डीजी इंफो-वॉरफेयर का पद भी पुनर्गठन में नया बनाया जायेगा. अभी तक सेना की मीडिया विंग, एडिशनल डॉयरेक्टर जनरल ऑफ पब्लिक इंफोर्मेशन (एडीजी-पीआई) डीजीएमआई को रिपोर्ट करती है जबकि इंफो-वॉरफेयर विंग डीजीएमओ के अंतर्गत काम करती है. इसलिए, अब इन दिनों विंग को मिलाकर डीजी-इंफो वॉरफेयर का नया पद बनाया जायेगा और वो सीधे नए उपसेना प्रमुख को रिपोर्ट करेगा. एडीजीपीआई को अब नए नाम एडीजी (स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशन) से जाना जायेगा.
नया उपसेना प्रमुख वाईस चीफ को रिपोर्ट करेगा
सूत्रों के मुताबिक, ये नया उपसेना प्रमुख वाईस चीफ को रिपोर्ट करेगा. किसी भी युद्ध, मिशन, या इमरजेंसी के दौरान वाईस चीफ ही फिर हर प्लान तैयार कर सेना प्रमुख को सौपेंगे. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के एकीकरण के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस के पद की घोषणा की है. लेकिन तीनों सेनाओं के एकीकरण से पहले थलसेना को ही अपने अपने डायरेक्टरेट्स में एकीकरण की जरूरत है. इसीलिए जनरल बिपिन रावत ने सेना मुख्यालय के पुनर्गठन का प्लान तैयार कराया है.
सूत्रों के मुताबिक, डोकलम विवाद से ही इंटीग्रेटेड बैटेल ग्रुप यानि आईबीजी का आईडिया आया है. क्योंकि उस दौरान चीन के खिलाफ पूरी स्ट्राइक कोर को मोबिलाइज करना कहीं से भी जरूरी नहीं था. इसीलिए सेना प्रमुख ने अब स्ट्राइक कोर के बजाए छोटे-छोटे आईबीजी बनाने का आदेश दिया हैं. ये आईबीजी एक ब्रिगेड (जिसमें करीब तीन हजार पैदल सैनिक होते हैं) उससे थोड़ी बड़ी यूनिट है. लेकिन इन बैटेल ग्रुप्स में इंफेंट्री यानि पैदल सैनिकों के साथ-साथ आर्मर्ड (टैंक), आर्टिलरी (तोप), एडी यानि एयर-डिफेंस यूनिट्स भी रहेंगी. ये आईबीजी सीमा की टेरिन यानि इलाके को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं. जैसा कि डोकलाम एक 'लोकेलाइजड इश्यू' था जो उस विशेष एरिया तक ही सीमित था. ऐसे में एक पूरी स्ट्राइक कोर (करीब करीब 60 हजार सैनिक, टैंक, तोप इत्यादि) को मूव कराने के बजाए एक आईबीजी से ही स्थिति से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है.
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