मुंबई: महाराष्ट्र सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. केंद्र सरकार बनाम राज्य सरकार याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कंजूरमार्ग में बन रहे मेट्रो कारशेड पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में अंतिम सुनवाई की तारीख फरवरी तय की है.


सॉल्ट पैन लैंड कमिश्नरेट ने केंद्र सरकार की तरफ से याचिका दायर की थी. आपको बता दे ये पूरा मामला 102 एकर की जमीन को लेकर है जिसे मुम्बई कलेक्टर ने एमएमआरडीए के नाम पर ट्रांसफर किया था ताकि वहां पर मेट्रो कारशेड बन सके.


कांजूरमार्ग मेट्रो कारशेड का यह मामला जबसे हाईकोर्ट में गया है उसके बाद से यह पहली बार है जब राज्य सरकार अपनी दलीले रख रहा है. इस जमीन पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार अपना अपना दावा कर रही हैं.


क्या है ये पूरा मामला?
मुंबई के गोरेगांव स्थित आरे कॉलोनी से मेट्रो 3 के कारशेड कोंजुरमार्ग ले जाने का निर्णय अभी की ठाकरे सरकार ने लिया, इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने उस जगह पर अपना अधिकार बताया. इसके बाद एक बिल्डर ने भी मुम्बई उपनगर के जिलाधिकारी मिलिंद बोरसे को यह कहकर नोटिस दी कि यह जमीन उन्होंने लिस पर ली है और यहां चल रहे निर्माण कार्य को तुरंत रोक जाए.


महेश कुमार गरोडिया की कंपनी गरोडिया ग्रुप्स का कहना है कि उन्होंने कंजूर गांव में तकरीबन 500 एकड़ जमीन किराये पर ली है. जिसमे मेट्रो कारशेड के लिए ली गयी जगह का भी समावेश है. इसलिए जिल्हाधिकारी ने जो 102 एकड़ जमीन एमएमआरडीए को देना का आदेश जारी किया है उसे तुरंत रद्द कर दें.


इस मामले में गरोडिया ने केंद्र सरकार द्वारा करार रद्द करने के निर्णय को लेकर 2005 में हाईकोर्ट में चैलेंज किया था जिसमे हाईकोर्ट ने गरोडिया को राहत देते हुए कहा था कि जबतक कोई आखिरी निर्णय नही होता तबतक इनका किया हुआ दावा बरकरार रहे.


इसपर एमएमआरडीए ने क्या कहा?
एमएमआरडीए के वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने कोर्ट में कहा की मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेन पर बहुत ज्यादा दबाव है और यह योजना उस दबाव को कम करने और मुंबई वासियों को यात्रा करने में और भी सहूलियतें देगा.


शहर में मेट्रो बनाने का काम बहुत ही तेजी से चल रहा है और ऐसे में अगर कारशेड ही नही होगा तो मेट्रो कैसे चलेगी. और यह जगह का मालिक कौन है यह अभी तक नही निर्धारित हुआ है ऐसे में लोगों को मिलने वाली सुविधा को ध्यान में रखते हुए काम को न रोक जाए.