नई दिल्ली: सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले ज्यादातर मरीज अपना वैध मोबाइल नंबर नहीं देते है. इससे सेवा में सुधार के लिए उनकी राय मांगने के सरकारी प्रयास बाधित हो रहे हैं.


स्वास्थ्य मंत्रालय की ‘‘मेरा अस्पताल’ पहल के तहत इकट्ठे किए गए आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र और 11 राज्य सरकारों द्वारा संचालित अस्पतालों में पिछले साल सितंबर से इस साल अप्रैल के बीच 1,02,12,062 मरीज आए थे जिनमें से सिर्फ 30 फीसदी ने अपना वैध मोबाइल नंबर दिया.


अपना वैध मोबाइल नंबर देने वाले 3,87,738 या 11 प्रतिशत ने ही अस्पताल में उनके अनुभव पर पूछे गए सवालों के जवाब दिए. इस पहल का मकसद सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिष्ठान में मरीज के अनुभव पर उनकी राय मांगकर उन्हें सशक्त करना है. यह योजना पिछले साल अगस्त में शुरू की गई थी.


यह बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और तमिलनाडु सहित 11 राज्यों के साथ ही केंद्र सरकार के अस्पतालों में लागू की गई. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पहल का मकसद अस्पताल अधिकारियों को विभिन्न मापदंडो जैसे स्टाफ का व्यवहार, स्वच्छता पर अपनी सेवा की गुणवत्ता का आकलन करने में मदद करना है जो मरीजों की ओर से दी गई जानकारी पर आधारित होगी.


अधिकारी ने कहा कि अगर मरीज खुद सहयोग नहीं करते हैं और अपने अनुभव के बारे में जानकारी देने से बचते हैं या सही फोन नंबर नहीं देते हैं तो कार्यक्रम का मूल लक्ष्य हासिल करने में बाधा आती है.