मालाबार मेरीटाइम एक्सरसाइज में चार देशों की नौसेनाओं ने एक साथ किया युद्धाभ्यास, समंदर में हुआ वॉर ड्रिल
Malabar Maritime Exercise 2022: चार देशों - भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की नौसेनाओं ने एक साथ युद्धाभ्यास किया. जापान के योकोसुका के पास समंदर में ये वॉर ड्रिल किया गया.
Malabar Maritime Exercise 2022: इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में होने वाली किसी भी तरह की समुद्री-चुनौती का मिलकर सामना करने के प्रण के साथ ही क्वाड देशों की मालाबार मेरीटाइम एक्सरसाइज बुधवार को समाप्त हो गई. पिछले डेढ़ हफ्ते से भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया की नौसेनाएं जापान के योकोसुका के करीब समंदर में वॉर-ड्रिल कर रही थीं.
इस साल मालाबार युद्धाभ्यास में अमेरिका के न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर, रोनाल्ड रीगन सहित कुल 11 युद्धपोतों ने हिस्सा लिया. भारतीय नौसेना के आईएनएस शिवालिक और आईएनएस कामोर्ता जहाज ने हिस्सा लिया. इसके अलावा चार पी8आई टोही विमान, हेलीकॉप्टर और पनडुब्बियों ने शिरकत की. मालाबार एक्सरसाइज का ये 22वां संस्करण था. 1992 में पहली बार भारत और अमेरिकी की नौसैनाओं ने मालाबार साझा एक्सरसाइज की शुरुआत की थी. बाद के सालों में जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भी इसमें हिस्सा लेना शुरू कर दिया.
जापान के पास समंदर में हुआ युद्धाभ्यास
7 नबम्बर को शुरू हुई मालाबार एक्सरसाइज में पिछले पांच दिनों में जापान के समंदर में लाइव-फायरिंग, एंटी-एयर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर का अभ्यास किया गया. भारतीय सेना के प्रवक्ता, कमाडंर विवेक मधवाल के मुताबिक, इस साल मालाबार एक्सरसाइज का मुख्य आकर्षण वॉर एट सी एक्सरसाइज भी थी जिसमें चारों देशों की नौसेनाओं ने इंटर-ऑपरेबिलिटी को मजबूत करने और अपने रण-कौशल को अधिक सक्षम बनाने पर जोर दिया गया.
युद्धाभ्यास के दौरान चारों देशों के युद्धपोतों के बीच सी-राइडर्स का आदान-प्रदान भी हुआ. इस साल की मालाबार एक्सरसाइज ऐसे समय में हुई जब जापान की नौसेना अपने स्थापना की 30वीं वर्षगांठ मना रही थी.
चारों देशों की नौसेनाओं ने एक-दूसरे को समझने की कोशिश की
भारतीय नौसेना के मुताबिक, ऑपरेशन्ल ड्रिल और प्रशिक्षण के अलावा हिस्सा लेने वाले चारों देशों ने आपसी लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट को भी परखा, जिसके तहत एक दूसरे के युद्धपोत और नौसैनिक किसी भी मित्र-देश के नेवल बेस पर रिफ्यूलिंग और मेंटेनेंस कर सकते हैं. एक्सरसाइज के दौरान सभी नौसेनाओं ने एक दूसरे को समझने की कोशिश की और एक दूसरे के ऑपरेशनल कौशल को भी जाना. इसके अलावा असंख्य समुद्री-चुनौतियों को निपटने में एक दूसरे का सहयोग करने पर भी जोर दिया.
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