आज से मालाबार-फेज़ 2 में एयरक्राफ्ट कैरियर्स करेंगे एक्सरसाइज, लड़ाकू विमान और दूसरे युद्धपोत भी करेंगे शिरकत
उत्तरी अरब सागर में मंगलवार से चार दिनों के लिए भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया की नौसेनाएं युद्धाभ्यास करेंगी. पहले चरण से दूसरे चरण की एक्सरसाइज़ मुश्किल होगी.
नई दिल्ली: पहले चरण की सफलता की बाद भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया की नौसेनाएं आज से मालाबार एक्सरसाइज का दूसरा चरण शुरू करने जा रही हैं. खास बात ये है कि इस फेज़ में भारत का एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रमादित्य और अमेरिका नौसेना का विमानवाहक युद्धपोत, यूएसएस निमिट्ज़ भी हिस्सा ले रहा है. इन दोनों के अलावा भी कैरियर बैटल ग्रुप के दूसरे युद्धपोत, फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर्स और सबमरीन भी युद्धाभ्यास का हिस्सा होंगे.
नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि मालाबार एक्सरसाइज का फेज़-2 ज्वाइंट ऑपरेशन्स पर आधारित होगा जो भारतीय नौसेना के ‘विक्रमादित्य’ कैरियर बैटल ग्रुप और अमेरिकी नौसेना के निमिट्ज कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के इर्दगिर्द होंगे. कमांडर मधवाल के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में पहले चरण की एक्सरसाइज (3-6 नबम्बर) में जो ‘सिनर्जी’ चारों देशों की नौसेनाओं में देखने को मिली थी, उसे दूसरे चरण के युद्भ्यास में आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा.
अगले चार दिनों तक (17-20 नबम्बर) तक विक्रमादित्य और निमिट्ज के अलावा दूसरे युद्धपोत, पनडुब्बी और लड़ाकू विमान हाई-इनटेनसिटी नेवल ऑपरेशन्स को अंजाम देंगे. साथ ही विक्रमादित्य पर तैनात मिग-29के फाइटर जेट्स और निमिट्ज पर तैनात एफ-18 और ईटूसी हॉकआई क्रॉस-डेक फ्लाईंग ऑपरेशन्स और एडवांस एयरडिफेंस एक्सरसाइज में हिस्सा लेंगे.
जानकारी के मुताबिक, भारतीय नौसेन की तरफ से विक्रमादित्य के अलावा स्वदेशी डेस्ट्रोयर्स, कोलकता और चेन्नई युद्धपोत, स्टील्थ फ्रीगेट, तलवार, फ्लीट सपोर्ट शिप, दीपक हिस्सा लेंगे. अमेरिकी नौसेन की तरफ से निमिट्ज के अलावा, क्रूजर प्रिंसटॉन और डेस्ट्रोयर स्टीरिट हिस्सा लेंगे. आस्ट्रेलियाई नौसेना की तरफ से फ्रीगेट, बलारट हिस्सा लेगा. जापानी नौसेना भी युद्धाभ्यास में शिरकत कर रही है. भारतीय नौसेना की लंबी दूरी के टोही विमान, पी8आई और अमेरिकी नौसेना के पी8ए भी हिस्सा लेंगे. साथ ही स्वदेशी स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी, आईएनएस खंडेरी भी युद्धाभ्यास में हिस्सा ले रही है.
अगले चार दिनों में चार देशों की नौसेनाओं एडवांस सर्फेस और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर एक्सरसाइज, सीमैनशिप ईवोल्यूशन और वैपन फायरिंग करेंगी ताकि इंटर-ऑपरेबिलेटी और सिनर्जी को बढ़ाया जा सके.
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