India New Step To Help Maldives: मालदीव के भारत विरोधी रवैये से दोनों देशों के बीच राजनीतिक तल्खियां कम नहीं हो रही हैं. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के बयानों से उपजने वाले विवादों के बावजूद भारत ने बड़ा दिल दिखाते हुए मालदीव को जरूरी चीजों की आपूर्ति का निर्णय लिया है. इसमें चीनी, गेहूं, चावल और आलू जैसी चीजें शामिल हैं.


खास बात ये है कि ये आपूर्ति 1981 के बाद अब तक की सबसे बड़ी आपूर्ति है, जिस पर मालदीव ने भारत का आभार जताया है. शुक्रवार (5‌ अप्रैल) को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस बाबत एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी है.


मालदीव को ये सामान भेजेगा भारत


जिन वस्तुओं को भारत मालदीव को निर्यात करेगा, उनमें चावल 124,218 टन, गेहूं का आटा  109,162 टन, चीनी 64,494 टन, आलू 21,513 टन, प्याज 35,749 टन, पत्थर और रेत 10 लाख टन और 42.75 करोड़ अंडे शामिल हैं.


वहीं, भारतीय उच्चायुक्त ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए पोस्ट में कहा कि 1981 में हुए द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की स्वीकृत मात्रा इस बार सबसे अधिक है.





मालदीव के विदेश मंत्री ने भारत का जताया आभार


मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने इस दरियादिली के लिए भारत सरकार को धन्यवाद कहा है. उन्होंने एक्स‌ पर पोस्ट पर कहा, "मैं मालदीव को वर्ष 2024 और 2025 के दौरान भारत से आवश्यक वस्तुओं का आयात करने में सक्षम बनाने के लिए कोटा के नवीनीकरण के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर और भारत सरकार को ईमानदारी से धन्यवाद देता हूं. ये वास्तव में एक संकेत है जो हमारे दोनों देशों के बीच चिरकालिक मित्रता और द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य को और आगे बढ़ाने की मजबूत प्रतिबद्धता का प्रतीक है."





विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी दिया जवाब


मालदीव के विदेश मंत्री के इस बयान पर भारत ने भी दोस्ताना प्रतिक्रिया दी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट और SAGAR नीतियों के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध है. क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (SAGAR) हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग की भारत की नीति या सिद्धांत है.


मालदीव को जरूरी चीजें आपूर्ति करने का निर्णय बीते साल नवंबर से दोनों देशों के बीच शुरू हुए विवाद के बीच लिया गया है. तब राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर भारत से अपने 88 सैन्य कर्मियों को उनके देश से वापस बुलाने की मांग की थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच, संबंध तब और खराब हो गए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की, जिसपर मालदीव के तीन मंत्रियों ने भद्दी टिप्पणियां कीं.



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