Malegaon Blast Case 2008: मुंबई (Mumbai) के स्पेशल NIA कोर्ट में आज यानी शनिवार ( 5 नवंबर) को मालेगांव बम धमाके (Malegaon Blast Case) का एक और गवाह होस्टाइल हो गया. इसको मिलाकर अब तक कुल 29 गवाह इस मामले में कोर्ट के सामने अपने पहले के दिए बयान से मुकर गए हैं. इस मामले में अब महज 105 गवाह बचे हैं. इस मामले में अगली सुनवाई 7 नवम्बर को होनी है. जो गवाह मुकरा है वो एक आर्मी का रिटायर जवान है.

220 गवाहों का बयान हुआ है दर्ज


ATS मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामले की जांच शुरू में कर रही थी, तभी से गवाही दर्ज की जा रही थी. मामले में अब तक 220 गवाहों के बयान अदालत में दर्ज किए गए हैं. अभी और 105 गवाह बचे हैं. अगस्त के महीने में 25वां गवाह  मुकर गया था. 


क्या था पूरा मामला?


29 सितंबर 2008 की रात करीब 9 बजकर 35 मिनट पर मालेगांव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी (Shakeel Goods Transport Company) के ठीक सामने एक बम धमाका हुआ था. यह धमाका मोटरसाइकिल में हुआ था. इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 लोग घायल हुए थे. धमाके के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ था.


चूंकि ये मामला आतंक से जुड़ा हुआ था, इसलिए महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के आदेश के बाद महाराष्ट्र ATS ने इस मामले की जांच अपने पास ली और 21 अक्टूबर 2008 को एफआईआर (FIR) में UAPA और मकोका (MCOCA) की धारा लगाई गई.


ATS ने 2009 को पहली चार्जशीट दायर की


मालेगांव हादसे के जांच के दौरान 20 जनवरी 2009 को महाराष्ट्र ATS ने मामले में पहली चार्जशीट दायर की थी, जिसमें 11 लोगों को गिरफ्तार और तीन लोगों को फरार दिखाया गया था. मामले में ATS ने 21 अप्रैल 2011 को सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी.


NIA ने 13 मई 2016 को दायर की चार्जशीट 


केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद 1 अप्रैल 2011 को मालेगांव बम धमाके की जांच नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई थी. NIA ने अपनी जांच के दौरान 13 मई 2016 को चार्जशीट दायर की, जिसमें 6 लोगों के खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं. इनमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण करसंग्रा, श्याम भंवर लाल साहू, प्रवीण तकलकी, लोकेश शर्मा और धनसिंह चौधरी का नाम शामिल था.


NIA ने कहा था कि "इस मामले में मकोका (MCOCA) नहीं लग सकता". इसके बाद आरोपियों ने जमानत की अर्जी डाली, जिसके बाद कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत दूसरे आरोपियों को जमानत मिल गई.


कोर्ट में डिस्चार्ज एप्लिकेशन किया दायर


आरोपियों ने जमानत मिलने के बाद कोर्ट में डिस्चार्ज एप्लीकेशन दायर किया. 27 दिसंबर 2017 को स्पेशल नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) कोर्ट में आरोपियों के डिस्चार्ज एप्लिकेशन पर फैसला सुनाया गया, जिसमें श्याम साहू, शिव नारायण कालसंग्रा और प्रवीण तकलकी को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था. वहीं, राकेश धावड़े और जगदीश म्हात्रे पर से कई धाराएं कोर्ट ने हटाई और उन दोनों पर सिर्फ आर्म्स एक्ट के तहत ही आरोप तय किए.


UAPA की धारा 18 लगाई गई


वहीं, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय रहिकर, सुधाकर चतुर्वेदी, सुधीर द्विवेदी के खिलाफ दायर MCOCA, UAPA की धारा 17, 29, 23 और आर्म्स एक्ट की धाराएं हटा दी गई थीं, लेकिन उन पर से UAPA की धारा 18, हत्या और हत्या की साजिश की धाराएं लगाकर आरोप तय कर दिए गए थे. उसके बाद से ट्रायल चल रहा है.


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