Malegaon Blast Case: NIA कोर्ट में सुनवाई के दौरान 25वां गवाह पलटा, बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर हैं मुख्य आरोपी
Malegaon Blast Case News: एटीएस ने इस मामले में 23 अक्टूबर 2008 को पहली गिरफ्तारी की. केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 2011 को ये मामला एनआईए (NIA) को सौंप दिया.
Malegaon Blast Case Update: महाराष्ट्र (Maharashtra) के मालेगांव में 2008 में हुए विस्फोट के मामले (Malegaon Blast Case) में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (Lt Col Prasad Purohit) से पारिवारिक संबंध रखने वाला थल सेना (Indian Army) का एक अधिकारी यहां सुनवाई के दौरान बृहस्पतिवार को अपने बयान से मुकर गया. इस तरह सुनवाई के दौरान मुकरने वाला वह 25वां गवाह है. बता दें कि उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 90 अन्य घायल हो गये थे.
थल सेना के अधिकारी ने विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी के समक्ष बृहस्पतिवार को अपनी गवाही दी और पुरोहित की पहचान की, जो अदालत में उपस्थित थे. अधिकारी ने आगे कहा कि महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (ATS) ने मामले के सिलसिले में उनसे पूछताछ की थी, लेकिन उनका बयान कभी दर्ज नहीं किया. जांच एजेंसी द्वारा पेश किये गये किसी गवाह को उस वक्त मुकर गया माना जाता है, जब वह अदालत में अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं करता है.
सेना के अधिकारी ने एटीएस को दिया था ये बयान
रिकॉर्ड के मुताबिक एटीएस ने सेना के उक्त अधिकारी का तीन पन्नों में बयान दर्ज किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उसने पुरोहित के घर में अभिनव भारत संगठन से जुड़े दस्तावेज देखे थे. बयान में सेना के अधिकारी ने पुरोहित और एक अन्य पूर्व सैन्य अधिकारी को पंचगनी में अक्टूबर 2008 में अभिनव भारत के शिविर वाले स्थल पर छोड़ने का भी दावा किया था.
बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर मुख्य आरोपी
बता दें कि पुरोहित के अलावा, मामले के अन्य आरोपियों में भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर (BJP MP Pragya Singh Thakur) भी शामिल हैं. वे सभी जमानत पर हैं. केस में प्रज्ञा सिंह ठाकुर मुख्य आरोपी है. महाराष्ट्र के मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर 2008 को मस्जिद के बाहर बम धमाका हुआ, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हुए. एटीएस ने इस मामले में 23 अक्टूबर 2008 को पहली गिरफ्तारी की. एटीएस ने साध्वी और उनके 2 सहयोगियों को पकड़ा. जिसके बाद एटीएस ने 20 जनवरी 2009 को इस केस में चार्जशीट दाखिल की. केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 2011 को ये मामला एनआईए (NIA) को सौंप दिया.
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