नई दिल्ली: मुंबई की एनआईए कोर्ट के फैसले के बाद 2008 मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित पर से मकोका हटा लिया गया है. दोनों पर ही अब आईपीसी और यूएपीए के तहत मामला चलेगा.


हुआ क्या था
गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 को नासिक के मालेगांव शहर में एक मोटरसाइकिल से बंधे बम के फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग इस घटना में जख्मी हुए थे. महाराष्ट्र पुलिस की आतंक रोधी दस्ते ने मामले में नवंबर 2008 में 11 लोगों को गिरफ्तार किया था. बाद में अप्रैल 2011 में मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा गया.


NIA कोर्ट का फैसला
एनआईए की एक विशेष अदालत ने बुधवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, रमेश उपाध्याय और अजय रहिकर के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) और गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के तहत लगाए गए आरोपों को हटा दिया. गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा 17, 20 और 13 एवं हथियार अधिनियम के तहत सभी आरोपों को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन अदालत ने गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा 18 के साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 302, 307, 304, 326, 427 और 153ए के तहत साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित के खिलाफ सुनवाई करने का फैसला किया है.



एनआईए की विशेष अदालत ने कहा कि सभी आरोपी पहले से ही जमानत पर जेल से बाहर हैं, इसलिए पहले के सभी बांड व जमानत बने रहेंगे. मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी. अदालत ने साध्वी प्रज्ञा को साजिश रचने के आरोपों से मुक्त करने से इंकार करते हुए कहा कि विस्फोटक ले जाने वाली मोटरसाइकिल के बारे में उसे जानकारी थी. सोमवार को अदालत ने पुरोहित और दूसरे आरोपी समीर कुलकर्णी की ओर से गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के प्रावधानों के तहत अभियोग चलाने की मंजूरी को चुनौती देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया.



कौन हैं कर्नल पुरोहित
कर्नल श्रीकांत पुरोहित का संबंध अभिनव भारत नाम के दक्षिणपंथी संगठन से बताया जाता है. कहा जाता है कि पुरोहित ने कथित हिन्दू राष्ट्र के लिए अलग संविधान, अलग झंडा बनाया. साथ ही उन्होंने मुस्लिम अत्याचार का बदला लेने के लिए भी विचार विमर्श किया. पुरोहित ने संगठन की बैठकों में शामिल होकर विस्फोटक जुटाने के लिए सहमति दी और ब्लास्ट के मुख्य षडयंत्रकर्ता रहे.


कौन हैं पज्ञा ठाकुर
14 साल की उम्र में ही उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया था. प्रज्ञा मध्य प्रदेश के भिंड जिले की रहने वाली हैं. भाषण कला ने उन्हें हिन्दी भाषी इलाकों में खासी पहचान दिलाई. 2008 में ब्लास्ट वाली जगह से उनकी मोटरसाइकिल बरामद हुई थी. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने कहा था कि उन्हें कई किस्म की यातनाएं दी गईं जिनके कारण वह कैंसर का शिकार हो गईं.