मालेगांव वोट जिहाद और टेरर फंडिंग केस में ED ने दबोचे दो और आरोपी, दुबई भागने की थे फिराक में
Malegaon Vote Jihad Case: दोनों आरोपी अपने आपको एजेंसियों की जांच से बचाने के लिए दुबई भागने की तैयारी में थे. जब वे दोनों अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे, वहां से उन्हें ED ने गिरफ्तार कर लिया.
Malegaon Vote Jihad and Terror Funding case: मालेगांव कथित वोट जिहाद और लगभग 1000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही ED ने इस मामले में शुक्रवार (3 जनवरी, 2024) को दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है. सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों के नाम शरीफमिया अमीरमिया शेख और मोहसिन अहमद मुस्तकली खिलजी है. गिरफ्तार आरोपियों पर आरोप है कि ये इस मनी लॉन्ड्रिंग मामले के मास्टरमाइंड मोहम्मद भगद उर्फ एमडी के करीबी सहयोगी हैं.
सूत्रों के मुताबिक, दोनों आरोपी अपने आपको एजेंसियों की जांच से बचाने के लिए दुबई भागने की तैयारी में थे. जब वे दोनों अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे, वहां से उन्हें ED ने गिरफ्तार कर लिया. दोनों आरोपियों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया गया था और एयरपोर्ट पर जब यह लोग पहुचें एजेंसियों को अलर्ट मिल गया, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया. मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान पता चला कि ये दोनों आरोपी मामले के मास्टरमाइंड एमडी के सीधे संपर्क में थे और मनी लॉन्ड्रिंग में उनकी अहम भूमिका थी.
PMLA कोर्ट में किया गया पेश
इन दोनों आरोपियों को पीएमएलए, 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया. इन्हें मुंबई पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने दोनों आरोपियों को ईडी की कस्टडी में भेज दिया है.
बैंक अकाउंट्स के आतंकी फंडिंग से जुड़े होने के मिले सबूत
मालेगांव मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही ED को संदेह है कि 255 प्राइमरी बैंक अकाउंट्स संभावित रूप से आतंकी फंडिंग से जुड़े होने के सबूत मिले हैं. ED इस ऑपरेशन में इन अकाउंट्स को रियल कुबेर मान रही है. जांच से यह भी पता चलता है कि यह एक वेल ऑर्गेनाइज्ड मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क है, जो कथित तौर पर राजनीतिक लोगों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भी जुड़ा हुआ है.
फर्जी नाम से बनाए जाते थे बैंक खाते
ED इन अकाउंट्स के ट्रांजेक्शन का विश्लेषण कर रही है. जांच में पता चला है की ये अकाउंट्स हिंदू युवकों के नाम पर धोखाधड़ी से खोले गए थे, जिनका इस्तेमाल केवल बड़ी रकम इकट्ठा करने के लिए किया गया था. ये कथित तौर पर राजनीतिक नेटवर्क और आतंकी फंडिंग से जुड़ी है. फिर इन फंड्स को कई अन्य अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिया गया.
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