Mango Farmers: दुनिया भर में लखनऊ और खास तौर पर मलिहाबाद के आम बेहद मशहूर हैं. मलिहाबाद के पद्म पुरस्कार विजेता कलीमुल्लाह खान आम को लेकर अपनी कलाकारी के लिए जाने जाते हैं. इस बार आम की फसल पर मौसम ने तबाही की बारिश की है.
कलीमुल्लाह खान ने बताया कि मौसम की शुरुआत में आम के पेड़ों पर जब फूल आए तो ऐसा फूल और ऐसी महक अपनी उम्र में कभी नहीं देखी थी, लेकिन पिछले दिनों बारिश हुई और सब बर्बाद हो गया. आलम यह है कि जो कुछ फसल बची है वह कमजोर है.
किसानों के असमानों पर पानी फिरा
दरअसल, कुछ दिनों पहले जब ठंड से मौसम बदलना शुरू हुआ तो आम के पेड़ों पर जोरदार बौरें लगीं. पेड़ों पर फूल खिले जिसे देख कर देखने वाले का दिल गदगद हो गए क्योंकि कई सालों से आम की फसल खराब चल रही थी. उम्मीद थी कि इस बार बेजोड़ फसल होगी. किसानों को आम की पैदावार जबरदस्त होने की उम्मीद थी, मगर बारिश के बाद अब आलम एकदम से उलट है.
यह आम की फसल के मुफीद मौसम था
कलीमुल्लाह खान ने बताया कि यह आम की फसल के मुफीद मौसम था लेकिन, अचानक मार्च में जिस तरह से बेमौसम बारिश और ओले पड़े, उसने आम के कपोलों में खिले फूल और उससे निकलते टिकोलों के साथ-साथ किसानों की उम्मीदों को भी खत्म कर दिया."
बारिश और ओलों ने नुकसान पहुंचाया
उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलों ने रबी फसल को नुकसान पहुंचाया है. लेकिन, आम की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है. पेड़ों पर लगे आम की सूखी डालों को दिखाते हुए कलीमुल्लाह खान ने बताया कि इस पर से सब आम गिर चुके हैं और फूल सब सुख चुके हैं, अब बस डाली डाली रह गई है. अपनी पूरी जिंदगी में ऐसा कभी नहीं देखा था ऐसा लग रहा है कि आसमान से आफत और तेजाब की बारिश हुई है.
80 से 90 फीसदी तक फसल खराब
मलिहाबाद में आम की 80 से 90 फीसदी तक फसल खराब हो चुकी है. आम के मौसम में पेड़ बेजार बिना फल के खड़े हैं. पेड़ों पर जो आम बचे हैं वो बेदिल और बेजान हैं, इसका ये मतलब है कि आम के अंदर जो बीज होता है वह विकसित नहीं हुआ है.
बता दें कि बारिश के बाद तबाही के मंजर के बीच सरकार ने फसलों का सर्वे कराया. प्रभावित किसानों को राहत देने की योजनाएं भी शुरू की गई. कलीमुल्लाह ने कहा कि हमसे कोई बातचीत नहीं की गई है और ना कोई आम को लेकर सर्वे किया गया है. सरकार और प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीद है कि ऐसी मुसीबत में हमारी बातें सुनें और दुनिया के सामने नजीर पेश करें.