राफेल डील: मल्लिकार्जुन खड़गे बोले- मोदी सरकार ने CAG के बारे में SC को गुमराह किया, माफी मांगे
राफेल मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर खूब हमला किया, लेकिन बीजेपी पर एक बार फिर कांग्रेस हमलावर हो गई है. पीएसी के चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि समिति के पास सीएजी ने कोई रिपोर्ट नहीं दी है.
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने राफेल विमान सौदे पर फिर सरकार को घेरा है. उन्होंने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पृष्ठभूमि में वह पीएसी के सदस्यों से आग्रह करेंगे कि अटॉर्नी जनरल और नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) को बुलाकर पूछा जाए कि राफेल मामले में कैग की रिपोर्ट कब और कहां आई है.
खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार ने न्यायालय के समक्ष कैग रिपोर्ट के तौर पर गलत जानकारी रखी जिस वजह से इस तरह का निर्णय आया है. लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने कहा, 'राफेल के बारे में कोर्ट के सामने सरकार को जिन चीजों को ठीक ढंग से रखना चाहिए था, वो नहीं रखा. अटॉर्नी जनरल ने इस तरह से पक्ष रखा कि कोर्ट को यह महसूस हुआ कि कैग रिपोर्ट संसद में पेश हो गई है और पीएसी ने रिपोर्ट देख ली है.' उन्होंने कहा, 'जब पीएसी जांच करती है तो साक्ष्यों को देखती है. लेकिन कोर्ट को गलत जानकारी दी गयी और जिसके आधार पर गलत निर्णय आया.'
खड़गे ने कहा, 'मैं पीएसी के सदस्यों से आग्रह करने जा रहा हूं कि अटॉर्नी जनरल को बुलाया जाए और कैग को भी बुलाया जाए ताकि यह पूछा जाए कि यह रिपोर्ट कब आई और पीएसी को कब मिली है.' उन्होंने कहा, 'अगर यह रिपोर्ट नहीं आई तो सरकार ने झूठ क्यों बोला? वह माफी मांगे. सरकार को कहां से क्लीन चिट मिलती है? किसी चीज को धोखे में रखकर की जाए तो वो ठीक नहीं है.' उन्होंने कहा, 'इसलिये हम जेपीसी की मांग कर रहे हैं ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके.
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को इस विमान सौदे में भ्रष्टाचार होने का आरोप फिर दोहराया और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बताए कि इस मामले पर कैग की रिपोर्ट कहां है जिसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट में किया गया है. गांधी ने इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर यह जांच हो गई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी का नाम ही सामने आएगा.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार को शुक्रवार को एक तरह से क्लीन चिट दे दी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सौदे में कथित अनियमितताओं के लिए सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है. ऑफसेट साझेदार के मामले पर तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.
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