राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद की जगह कौन? विपक्ष के नेता के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम तय- सूत्र
कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे 2014 से 2019 के बीच लोकसभा में कांग्रेस के नेता रह चुके हैं.आजाद साल 2005 से 2008 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे. वह करीब 41 सालों से संसदीय राजनीति में हैं. वह साल 2014 से राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद का 15 फरवरी को कार्यकाल खत्म हो रहा है. अब चर्चा हैं कि कांग्रेस वरिष्ठ नेता मल्लिाकर्जुन खड़गे को राज्यसभा में विपक्ष का नेता घोषित कर सकती है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को यह सूचित किया है कि खड़गे नेता प्रतिपक्ष होंगे.
लोकसभा चुनाव हारने के बाद गए राज्यसभा
बता दें कि कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले दलित नेता खड़गे 2014 से 2019 के बीच लोकसभा में कांग्रेस के नेता रह चुके हैं. बड़ी बात यह है कि खड़गे साल 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे. इसके बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया था.
2014 से राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं गुलाम
गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के सदस्य हैं. आजाद साल 2005 से 2008 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे. वह करीब 41 सालों से संसदीय राजनीति में हैं. वह साल 2014 से राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं. वह पांच बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा सांसद रहे. आजाद के साथ ही बीजेपी के शमशेर सिंह मन्हास, पीडीपी के मीर मोहम्मद फ़ैयाज और नजीर अहमद लवाय का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है. आजाद और नजीर अहमद का कार्यकाल 15 फरवरी को और मन्हास और मीर फयाज का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है.
गुलाम नबी आजाद को लेकर अटकलों का बाजार गर्म
गुलाम नबी आजाद के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलबाजी का दौर शुरू हो गया. जहां एक ओर गुलाम नबी आजाद को एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार/ राज्यसभा का चेयरमैन बनाने की बातें चल रही हैं. तो वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि उन्हें किसी महत्वपूर्ण राज्य का गवर्नर बनाया जा सकता है. इसके साथ ही इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं बीजेपी उन्हें जम्मू कश्मीर में बड़ा रोल दे सकती हैं, जहां आने वाले कुछ समय में चुनाव भी होने वाले हैं.
गौरलतब है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने और इसके केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से वहां विधानसभा अस्तित्व में नहीं है.
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