(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कारगिल में कड़ाके की ठंड में मनाया गया 'ममानी', शामिल हुए सैकड़ों लोग
महोत्सव का आयोजन कारगिल जिला प्रशासन की ओर से किया गया था. इस समारोह में लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर मुख्य अतिथि को तौर पर शामिल हुए. इस महोत्सव का आयोजन सर्दी के सबसे कठिन दिनों चिल्लई कलां के दौरान होता है.
कारगिल: देश में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. वहीं लद्दाख में आमतौर पर माइनस में पारा रहता है. लद्दाख में माइनस 20 से 30 डिग्री पारा होने के बाद भी यहां के निवासी न सिर्फ अपनी दिनचर्या चला रहे हैं बल्कि विशेष महोत्सव का आयोजन भी कर रहे हैं. ऐसे ही एक महोत्सव का आयोजन कारगिल के शरगोले क्षेत्र में बुधवार को किया गया, जिसको स्थानीय भाषा में ममानी कहा जाता है. पारंपरिक मौसमी भोजन उत्सव में कारगिल जिले से हजारों लोग इस महोत्सव में शामिल होने के लिए पहुंचे.
महोत्सव का आयोजन कारगिल जिला प्रशासन की ओर से किया गया था. इस समारोह में लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर मुख्य अतिथि को तौर पर शामिल हुए. इस महोत्सव का आयोजन सर्दी के सबसे कठिन दिनों चिल्लई कलां के दौरान होता है. इस मौके पर पारंपरिक व्यंजनों को न सिर्फ बनाया जाता है बल्कि परोसा भी जाता है.
पारंपरिक थाली में परोसा जाता है खाना
वहीं पहले ऐसे आयोजन का मकसद सर्दी के दिनों में लोगों को एकजुट करने और खुशियां मनाने से था. हालांकि वर्तमान में इसे मनाने के पीछे अपनी सभ्यता और परंपरा को जिंदा रखने से है. इस आयोजन में कारगिल का पारंपरिक खाना परोसा जाता है. इनमें पोपोट (Grain Soup), खमीर रोटी (Yeast Bread), मारखोर अजोग (Puri), पोली (Pane Cakes of Buck Wheat), सुग्गू (Kash or Pachae) और दही पारंपरिक थाली में परोसा जाता है.
वहीं इस दौरान कारगिल आए पर्यटक भी इस आयोजन में शामिल होकर पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ लेते नजर आए. साथ ही पारंपरिक परिधान और नाच-गाने का भी आनंद लिया गया. परंपरा के मुताबिक ममानी के अगले दिन कारगिल के सभी निवासी अपने घरों के आंगन में सुबह सवेरे आग जलाकर सर्दियों के जाने और बसंत के आने की शुरुआत के तौर पर मनाते हैं. हालांकि बदलते समय के साथ कई परंपराएं लुप्त हो गई है. वहीं ऐसी परंपराओं को जीवित रखने के लिए ऐसे महोत्सव का आयोजन किया जाता है.
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