'हम अकेले बंगाल में बीजेपी को हरा देंगे', दीदी के दावे पर मालवीय का पलटवार- हताशा का संकेत, इंडिया में नहीं मिला कोई अपना
Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन का खेल बिगड़ गया है. ममता के अकेले चुनाव लड़ने के एलान से गठबंधन को राज्य में नुकसान हो सकता है.
West Bengal: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ ममता बनर्जी ने एलान किया है कि उनकी पार्टी राज्य में अकेले चुनाव लड़ने वाली है. इसे कांग्रेस के साथ-साथ इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. कांग्रेस और टीएमसी के बीच सीट बंटवारे को लेकर काफी खींचतान चल रही थी. वहीं, ममता के अकेले चुनाव लड़ने के एलान को बीजेपी ने हताशा करार दिया है और कहा कि उनकी विपक्षी चेहरा बनने की इच्छा थी, जो पूरी नहीं हुई.
बंगाल में लोकसभा सीटों की संख्या 42 है. कांग्रेस पार्टी चाह रही है कि उसे ज्यादा सीटों पर लड़ने का मौका दिया जाए. मगर टीएमसी की इच्छा है कि वह राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े. इस बात की भी खबर है कि टीएमसी चाहती है कि कांग्रेस सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़े. टीएमसी इंडिया गठबंधन में लेफ्ट पार्टियों को लेकर भी चिंतित है. ममता ने खुद कहा है कि जिस लेफ्ट से वह 34 साल लड़ी हैं, अब उन्हें उनकी बातें सुननी पड़ रही हैं.
टीएमसी चीफ ने क्या एलान किया?
दरअसल, ममता बनर्जी ने बुधवार (24 जनवरी) को कहा, 'कांग्रेस पार्टी के साथ मेरी कोई चर्चा नहीं हुई. मैंने हमेशा कहा है कि बंगाल में हम अकेले लड़ेंगे. मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि देश में क्या किया जाएगा, लेकिन हम एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी हैं और बंगाल में हैं. हम अकेले ही बीजेपी को हरा देंगे.' बंगाल की मुख्यमंत्री, 'मैं इंडिया गठबंधन का हिस्सा हूं. राहुल गांधी की न्याय यात्रा हमारे राज्य से गुजर रही है लेकिन हमें इसके बारे में सूचित नहीं किया गया है.'
चुनाव के बाद प्रासंगिक रहने की उम्मीद: अमित मालवीय
वहीं, बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ने के एलान को ममता की हताशा बताया. बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, 'पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ने का ममता बनर्जी का फैसला हताशा का संकेत है. ममता अपनी राजनीतिक जमीन बरकरार रखने में फेल हुई हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'वह सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. इसकी वजह ये है कि उन्हें उम्मीद है कि चुनाव के बाद भी वह प्रासंगिक बनी रह सकती हैं.'
Mamata Banerjee’s decision to fight alone in West Bengal is a sign of desperation. Unable to hold her political ground, she wants to fight all seats, in the hope that she can still be relevant, after the polls.
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 24, 2024
Much against her desire, to emerge as the face of the Opposition…
शर्मिंदगी से बचने के लिए खरगे का नाम आगे किया
मालवीय ने यहां तक कहा, 'ममता की इच्छा विपक्षी गठबंधन का चेहरा बनने की थी, लेकिन किसी ने उनके नाम का प्रस्ताव नहीं दिया. नेशनल चेहरा बनने के लिए दिल्ली की कई यात्राओं का भी कोई फायदा नहीं हुआ. वह चुनाव के बाद की हिंसा के खून को छिपा नहीं सकीं और तुष्टीकरण की राजनीति की दुर्गंध से खुद को आजाद नहीं कर पा रही हैं. शर्मिंदा ममता ने अपना चेहरा बचाने के लिए मल्लिकार्जुन खरगे के नाम की वकालत की और खुद को इस प्रक्रिया से बाहर रखा.' ममता ने इंडिया गठबंधन की बैठक में पीएम पद के लिए खरगे के नाम की सिफारिश की थी.
अकेले चुनाव लड़ना इंडिया गठबंधन के लिए मौत की घंटी जैसा
बीजेपी नेता ने कहा, 'उन्हें एहसास हुआ कि उनकी घबराहट के बावजूद, विपक्षी खेमे में उनके पास अपना कोई नहीं था. वह लंबे समय से बाहर निकलने के लिए जमीन तैयार कर रही थीं.' मालवीय ने कांग्रेस की न्याय यात्रा को राहुल गांधी का सर्कस बताया. उन्होंने कहा, 'असल बात ये है कि राहुल गांधी के बंगाल में सर्कस आने से ठीक पहले उनके अकेले चुनाव लड़ने का एलान इंडिया गठबंधन के लिए मौत की घंटी जैसा है.'
2019 चुनाव में क्या था सभी पार्टियों का हाल?
2019 लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों ने अकेले मैदान में उतरने का फैसला किया था. सबके अकेले लड़ने का फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को हुआ. इसकी वजह से कांग्रेस, टीएमसी और लेफ्ट तीनों पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ा. कांग्रेस की 2 सीटें कम हुई, लेफ्ट की भी 2 सीटें कम हुई थीं. टीएमसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, क्योंकि 2014 के मुकाबले उसकी 12 सीटें कम हो गईं. 42 में से कांग्रेस के खाते में सिर्फ 2 सीटें आईं, जबकि बीजेपी को 18 और टीएमसी को 22 सीटों पर जीत मिली.
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