कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासत गरमा रही है. राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि उपचुनाव में देरी हो रही है. बंगाल में फिलहाल विधानसभा की सात सीटे खाली हैं. इनमें से भवानीपुर सीट पर ममता बनर्जी के चुनाव लड़ने की संभावना है.
इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज चुनाव आयोग से मुलाकात की. पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद सुदीप बंदोपाध्याय के नेतृत्व में पार्टी के 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से मुलाक़ात की. आयोग को दिए अपने ज्ञापन में पार्टी ने मांग की है कि राज्य में खाली पड़ी सभी 7 विधानसभा सीटों पर तुरंत उपचुनाव करवाए जाएं. पार्टी का तर्क है कि इन सीटों को खाली हुए 2 महीने से ज़्यादा बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है.
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव में बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. लिहाज़ा, संविधान के मुताबिक़ उन्हें मुख्यमंत्री बनने के छह महीनों के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना पड़ेगा. ऐसे में बंगाल विधानसभा का उपचुनाव होना ज़रूरी है, क्योंकि राज्य में विधान परिषद नहीं है. फ़िलहाल राज्य में सात ऐसी सीटें हैं जो रिक्त हैं और उपचुनाव होना है. ममता बनर्जी के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की उम्मीद है. पार्टी को डर है कि अगर 5 नवम्बर तक उपचुनाव नहीं हुए तो ममता बनर्जी विधायक नहीं बन पाएंगी और उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा. कुछ दिनों पहले उत्तराखण्ड में तीरथ सिंह रावत को ऐसी ही परिस्थिति में इस्तीफ़ा देना पड़ा था.
आयोग को दिए ज्ञापन में पार्टी का कहना है कि राज्य में कोरोना की हालत में काफ़ी सुधार हुआ है. पार्टी ने कहा है कि अप्रैल-मई में दूसरी लहर के दौरान जब रोज़ाना 17000 मामले आ रहे थे तब भी राज्य में विधानसभा के नियमित चुनाव करवाए गए थे. ज्ञापन के मुताबिक़ अब कोरोना संक्रमण के मामलों में 17 गुना से ज़्यादा की कमी दर्ज़ की गई है. ऐसे में यही चुनाव करवाने का उपयुक्त समय है.
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों को आशंका है कि कोरोना की स्थिति और तीसरी लहर की संभावना को आधार बनाकर नियत समय के भीतर उपचुनाव नहीं करवाए जाएंगे. सूत्रों का आरोप है कि ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है ताकि ममता बनर्जी को विधानसभा पहुंचने से रोका जा सके. पार्टी ने आधिकारिक तौर पर तो नहीं कहा, लेकिन पार्टी सांसद कल्याण बनर्जी के बयान से इसे समझा जा सकता है. आयोग से मुलाक़ात के बाद कल्याण बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आयोग राज्य में कोई संवैधानिक संकट नहीं चाहता.