नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमों ममता बनर्जी ने हाल ही में मोदी विरोधी राजनीतिक दलों को चिट्ठी लिखकर एकजुट होने का आह्नान किया था. अब शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि इस एकजुट होने की शुरुआत कोलकाता से होनी चाहिए.


सामना में कहा गया है कि प्रत्यक्ष रूप से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और सोनिया गांधी कांग्रेस हाथ मिलाकर संघर्ष नहीं करती हैं. वे एक-दूसरे के विरोध में खड़े हैं. इसलिए एकजुट होने के प्रयोग की शुरुआत कोलकाता से होना जरूरी है. पश्चिम बंगाल में बीजेपी के आक्रमण के बाद ममता बनर्जी को सभी एक साथ आएं, ऐसा महसूस होता होगा तो उस भावना का स्वागत करना चाहिए.


शिवसेना ने आगे कहा, 'सिर्फ तमिलनाडु में कांग्रेस ही नहीं, बल्कि बीजेपी भी नहीं है. वहां खेल पूर्ण रूप से प्रादेशिक स्तर पर चलता है. उड़ीसा के नवीन पटनायक हमेशा बाड़ पर ही रहते हैं. केजरीवाल, चौटाला, बिहार में तेजस्वी यादव, कर्नाटक में देवेगौड़ा का जनता दल अपना-अपना खेल दिखाता रहता है. उत्तर प्रदेश में मायावती क्या करेंगी इसका भरोसा नहीं किया जा सकता है. परंतु अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी इसी तरह से जमीन में पैर जमाकर बैठी है. आंध्र के जगनमोहन, चंद्रबाबू नायडू ये निश्चित तौर पर किस ओर हैं, ये कभी कहा नहीं जा सकता. विरोधियों में एकजुटता नहीं होने के कारण लोकतंत्र मिट्टी में मिल गया है. बेवजह इंदिरा गांधी अथवा मोदी-शाह प्रणीत बीजेपी को दोष दिया जाए.'


"क्षेत्रीय पार्टियां राष्ट्रीय होने का माद्दा रखते हुए भी अपनी स्वतंत्र राजनीति करती हैं"
सामना में कहा गया है कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना के पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे, द्रमुक के नेता एमके स्टालिन, नवीन पटनायक, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल सहित कई विरोधी नेताओं को एकजुट होने का आह्वान किया है. लेकिन ये एकजुट होने का प्रयोग प्रत्यक्षरूप से साकार होगा क्या? आज अपने-अपने राज्यों में कई क्षेत्रीय पार्टियां ‘राष्ट्रीय’ होने का माद्दा रखती हैं. माद्दा रखते हुए अपनी स्वतंत्र राजनीति करती है.


"आज हमारे देश में निश्चित तौर पर संप्रभु क्या है?"
शिवसेना ने सवाल करते हुए कहा है कि हिंदुस्तान एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बने यही हमारे संविधान के रचनाकारों की मंशा थी. उन्होंने सिर्फ 'संप्रभु गणतंत्र' ऐसा नहीं कहा था. आज हमारे देश में निश्चित तौर पर संप्रभु क्या है? खुद का राज्य, खुद की ही सत्ता यही संप्रभुता मानी जाती होगी तो किस तानाशाह के खिलाफ विपक्ष लड़ेगा?


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