Explained: राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता या ममता बनर्जी की मिशन 2024 की तैयारी?
Presidential Election: पश्चिम बंगाल में मिली बड़ी जीत के बाद ममता बनर्जी ने एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर अपने लिए जमीन तलाशनी शुरू कर दी. जिसमें वो कुछ हद तक कामयाब होती दिख रही हैं.
Presidential Election: राष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्ता पक्ष के अलावा विपक्षी दलों ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं. लेकिन एक बार फिर विपक्ष के चेहरे के तौर पर कांग्रेस या राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) नजर आ रही हैं. ममता ने मौके की नजाकत को समझते हुए तमाम विपक्षी दलों और मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर दिल्ली में बैठक के लिए न्योता भेज दिया. जिसके बाद आज विपक्ष की ये बैठक होने जा रही है. अगर आपको लग रहा है कि ममता ने ये कदम सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकजुटता को लेकर उठाया है तो आप गलत हैं, क्योंकि राजनीति के महारथियों में शामिल ममता की असली तैयारी मिशन 2024 की है.
ये समझाने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा. पिछले साल यानी 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. अमित शाह से लेकर जेपी नड्डा और खुद पीएम मोदी पश्चिम बंगाल में डटे रहे. बीजेपी की ताकत देख टीएमसी के कई नेताओं ने भी दीदी का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया. लेकिन ममता कहीं न कहीं नतीजों को लेकर आश्वस्त थीं. नतीजे आए तो ममता ने अपना पिछला रिकॉर्ड भी तोड़ दिया और बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. इस बड़ी जीत के बाद ममता का कद और ज्यादा बढ़ गया.
हमने विधानसभा चुनाव की ये कहानी आपको इसलिए बताई क्योंकि इसके बाद से ही टीएमसी और खुद ममता बनर्जी की नजरें 2024 लोकसभा चुनाव पर टिक गईं. चुनाव नतीजों से पूरे देशभर में ये मैसेज पहुंचाने की कोशिश की गई कि पीएम मोदी के सामने ममता बनर्जी ही सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती हैं. टीएमसी नेताओं के बयानों से इस पूरी बहस को हवा देने की कोशिश काफी पहले से शुरू हो चुकी है.
ममता का राष्ट्रीय अभियान
इसके बाद ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का एक राष्ट्रीय अभियान शुरू कर दिया. पार्टी कई राज्यों में एक्टिव नजर आने लगी. वहीं ममता बनर्जी ने यहीं से एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर अपने लिए जमीन तलाशनी शुरू कर दी. ममता ने चुनावों के ठीक बाद विपक्षी नेताओं से मुलाकात शुरू कर दी. इसके लिए ममता देश की राजधानी दिल्ली पहुंचीं और यहां उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के अलावा विपक्ष के बड़े नेताओं से मुलाकात की. इस दौरे की खास बात ये रही कि ममता ने जमकर लाइम लाइट बटोरी और मोदी सरकार को जमकर निशाने पर लिया. हर तरफ ममता के इस दौरे की चर्चा रही. इस दौरान ममता ने खुले तौर पर कहा कि 2024 के लिए विपक्ष को अभी से एकजुट होना होगा. इतना ही नहीं, ममता ने ये भी साफ कर दिया कि दिल्ली से अब उनका लगाव बना रहेगा और वो राजधानी के ऐसे दौरे करती रहेंगीं.
इसके बाद ममता बनर्जी ने शरद पवार और पी चिदंबरम जैसे नेताओं से भी खुली अपील करते हुए ये कहा कि, अगर देश को बचाना चाहते हैं तो 2024 के लिए एक फ्रंट तैयार करने की तैयारी शुरू करें. हालांकि ममता ने कभी भी खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बताया, लेकिन उनके तमाम नेताओं ने ये काम किया. नेताओं के इन बयानों के हेडलाइन भी बनती रही, जिसने ममता को राष्ट्रीय नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने का काम बखूबी निभाया.
कांग्रेस को सीधी चुनौती
इस बीच 2022 में पांच राज्यों में चुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. ममता ने इसे भी एक मौके की तरह देखा और नतीजों के बाद मार्च में विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी. जिसमें फिर से एकजुट होने की बात कही गई थी. ममता ने सभी बड़े नेताओं को एक बैठक करने का न्योता दिया. इसके बाद ममता ने महाराष्ट्र का रुख किया, जहां उन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात की. इतना ही नहीं, ममता की मुलाकात कई उद्योगपतियों, कलाकारों और समाज से जुड़े अन्य लोगों से भी हुई. मौके को देखते हुए ममता ने इस मंच से कांग्रेस को जमकर फटकार भी लगा दी. उन्होंने कहा कि, "जो लड़ाई नहीं लड़ना चाहते हैं उनका हम क्या कर सकते हैं. अभी यूपीए क्या है? यूपीए अभी कुछ भी नहीं है."
बैक बेंच पर कांग्रेस?
पिछले एक साल की बात करें तो हर मोर्चे पर ममता कांग्रेस से एक कदम आगे खड़ी दिखी हैं. फिर चाहे वो देश में नफरती हिंसा की बात हो, बेरोजगारी को लेकर उठाए गए सवाल हों... या फिर राष्ट्रपति चुनाव से पहली की तैयारियां हों... हर बार ममता बनर्जी ने कांग्रेस को बैक बेंच पर धकेलने की कोशिश की. फिलहाल राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जो विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई गई है, उसमें भले ही आंकड़े सत्ता पक्ष की तरफ नजर आ रहे हों, लेकिन ममता का गोल सटीक निशाने पर लगता दिख रहा है. क्योंकि भले ही मन से नहीं, लेकिन कांग्रेस भी इस बैठक का हिस्सा बन रही है. जब कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, तब ममता के लिए ये गरम लोहे पर हथौड़ा मारने जैसा है. इसीलिए वो लगातार विपक्षी एकजुटता की लीडर बनने की कोशिश कर रही हैं. साफ है कि ममता 2024 में विपक्ष के चेहरे के तौर पर सामने आने की पूरी कोशिश में हैं और इसके लिए कांग्रेस का बैक बेंच पर शिफ्ट होना काफी जरूरी है.
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