नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मजाकिया तस्वीर पोस्ट करने के लिए जेल भेजी गई बीजेपी कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल रिहाई का आदेश दिया है. हालांकि, कोर्ट ने कहा है कि प्रियंका रिहा होने के बाद माफी मांगे. ये कहे कि उनका इरादा किसी को आहत करने का नहीं था. इसके पीछे की वजह बताते हुए कोर्ट ने कहा है कि प्रियंका सामान्य नागरिक नहीं हैं. एक राजनीतिक पार्टी की कार्यकर्ता हैं.


बीजेपी कार्यकर्ता ने फेसबुक पर सीएम ममता बनर्जी की जो तस्वीर पोस्ट की थी, उसे बोलचाल की भाषा में मीम कहते हैं. अमेरिका में हुए एक कार्यक्रम के दौरान अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की वेशभूषा का सोशल मीडिया पर काफी मज़ाक उड़ा था. उसी कार्यक्रम की तस्वीर में प्रियंका चोपड़ा की जगह ममता बनर्जी का चेहरा लगा कर एक मीम बनाया गया था, जो सोशल मीडिया पर पहले से वायरल था. प्रियंका शर्मा ने उस मीम को अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर किया था. जिसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.


10 मई को हुई गिरफ्तारी के बाद प्रियंका को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. ऐसे में उनके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हवाला देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस निरंकुश और तानाशाह तरीके से काम कर रही है. एक साधारण मजाक के लिए किसी को जेल में भेजा जाना गलत है.


सुप्रीम कोर्ट में इस समय गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं. ऐसे में मामला जस्टिस इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की अवकाश कालीन बेंच के सामने लगा. बेंच की अध्यक्षता कर रही जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने शुरू में ही कहा कि इस तरह की तस्वीर पोस्ट करने के लिए प्रियंका को माफी मांगनी चाहिए.


प्रियंका के परिवार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने इसका पुरजोर विरोध किया. उन्होंने कहा कि मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का है. एक साधारण से मजाक के लिए 25 साल की लड़की को जेल में डाल दिया गया है. और अब उससे माफी मांगने को कहा जा रहा है. ये भविष्य के लिए बहुत गलत उदाहरण बनेगा. ऐसे मामलों में राज्य सरकार राजनीतिक विरोधियों को आसानी से गिरफ्तार कर लिया करेगी और उनसे माफी मंगवाई जाएगी.


लेकिन कोर्ट अपने रुख पर कायम रहा. बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, "जिनकी गिरफ्तारी के खिलाफ आप यहां पहुंचे हैं, वो अगर कोई सामान्य नागरिक होता तो हम तुरंत उसे रिहा करने का आदेश देते, लेकिन वो राजनीतिक दल से जुड़ी हैं. इस समय चुनाव चल रहा है. ऐसे में उनकी पोस्ट चुनाव पर असर डाल सकती थी."


वकील नीरज किशन कॉल ने कहा, "माफी मांगनी है या नहीं, ये जेल में बंद प्रियंका शर्मा को तय करना है. उनसे संपर्क कर पाना अभी संभव नहीं है. इस तरह की शर्त नहीं लगाई जानी चाहिए." इसके बाद कोर्ट ने आदेश लिखवाया कि प्रियंका रिहा होने के बाद माफी मांगेंगी. हालांकि, माफी किस से मांगी जाएगी और उसमें क्या लिखा जाएगा, आदेश लिखवाते वक्त ये स्पष्ट नहीं किया गया.


वैसे, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये टिप्पणी की थी कि प्रियंका को ये कहना चाहिए कि उनका मकसद किसी को आहत करने का नहीं था. कोर्ट का आदेश पूरा होने के बाद भी वकील माफी की बात का विरोध करते रहे. उनका कहना था कि भविष्य में न सिर्फ ये गलत उदाहरण बनेगा, बल्कि इस केस पर भी इसका असर पड़ेगा. कोर्ट ने साफ किया कि उसका मकसद अपराधिक मामले को प्रभावित करने का नहीं है. वो कार्रवाई अलग से चलेगी. गिरफ्तारी के खिलाफ याचिकाकर्ता जो भी कहना चाहते हैं, उन्हें इसका मौका दिया जाएगा. गर्मी की छुट्टी के बाद मामले की सुनवाई होगी.


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