NITI Aayog On Mamata Banerjee Claim: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार (27 जुलाई) को दावा किया कि नीति आयोग की जिस बैठक में वो शामिल होने पहुंची थीं, उसमें उन्हें बोलने नहीं दिया गया और माइक बंद कर दिया. इसको लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. मामले को पीआईबी फैक्ट चेक ने फर्जी बताया. अब नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम का भी बयान सामने आया है.


उन्होंने पूरे मामले में अपना पक्ष रखा और बताया, "पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बैठक में मौजूद थीं. मुख्यमंत्री ने लंच से पहले बोलने के लिए कहा था. यह उनकी ओर से ही स्पष्ट अनुरोध था. चूंकि आम तौर पर अल्फाबेटिकल क्रम से बोलने के लिए निर्धारित किया जाता है. इसलिए यह आंध्र प्रदेश से शुरू होता है और क्रम से चलता है. हमने वास्तव में समायोजन किया और रक्षा मंत्री ने वास्तव में गुजरात से ठीक पहले उन्हें बुलाया."


मुख्यमंत्री को बोलने के लिए मिलता है कितना समय?


उन्होंने आगे बताया, "प्रत्येक मुख्यमंत्री को सात मिनट आवंटित किए जाते हैं और स्क्रीन के ऊपर सिर्फ एक घड़ी होती है जो आपको शेष समय बताती है तो यह सात से छह, पांच से चार और तीन तक जाता है. उसके अंत में, यह शून्य दिखाता है और कुछ नहीं. इसके अलावा और कुछ नहीं हुआ. फिर उन्होंने कहा कि देखिए, मैं और समय के लिए बोलना चाहती थी, लेकिन मैं नहीं बोलूंगी. अब और कुछ नहीं  बोलूंगी. बस इतना ही. इसके अलावा और कुछ नहीं था. हम सबने सुना. उन्होंने अपनी बात रखी और हमने सम्मानपूर्वक उसे सुना और नोट किया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जाने के बाद भी बंगाल के मुख्य सचिव बैठक में बने रहे."


किन मुख्यमंत्रियों ने लिया मीटिंग में हिस्सा?


बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि 10 राज्य अनुपस्थित रहे, 26 राज्य उपस्थित थे. केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, झारखंड और पुडुचेरी. बिहार में एसेंबली का सेशन देर तक चला, इसी वजह से वे एबसेंट रहे. सभी मुख्य मंत्रियों को 7 मिनट का समय दिया गया था. 


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