West Bengal : 'बंगाल के बंटवारे का सवाल ही नहीं...' गोरखालैंड की मांग पर ममता बनर्जी ने दिया जवाब
Mamata Banerjee: ममता बनर्जी ने बंगाल का बंटवारा कर अलग गोरखालैंड बनाए जाने की मांग पर अपना ऐतराज जताया. उन्होंने कहा इसका कोई सवाल ही नहीं है, न ही सरकार ऐसा होने देगी.
![West Bengal : 'बंगाल के बंटवारे का सवाल ही नहीं...' गोरखालैंड की मांग पर ममता बनर्जी ने दिया जवाब Mamata Banerjee On West Bengal Shutdown over gorkhaland says there is no question of partition of Bengal West Bengal : 'बंगाल के बंटवारे का सवाल ही नहीं...' गोरखालैंड की मांग पर ममता बनर्जी ने दिया जवाब](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/02/22/a41711013fff89c443a6c9bc124b8e7f1677056284473330_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Mamata Banerjee On Bengal Shutdown: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में एक बार फिर गोरखालैंड की मांग ने जोर पकड़ ली है. दार्जिलिंग में पार्टियों से बंद के आह्वान के बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कहा कि राज्य सरकार किसी भी हड़ताल की अनुमति नहीं देगी. उन्होंने कहा कि वह किसी को भी राज्य को विभाजित नहीं करने देगी. पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का बयान पहाड़ियों में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (Gorkha Janmukti Morcha) के खिलाफ आया है. जीजेएम ने 23 फरवरी को दार्जिलिंग में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है.
मंगलवार (22 फरवरी) को सिलीगुड़ी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए बनर्जी ने कहा, "हम कभी भी किसी हड़ताल की अनुमति नहीं देंगे. हमारी सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि हम किसी भी अलगाव की अनुमति नहीं देंगे. बंगाल को अलग करने का कोई सवाल ही नहीं है. सीएम ने कहा कि वह बंगाल को विभाजित करने के लिए किसी भी साजिश को पनपने नहीं देंगी. उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल ने बंद संस्कृति को खत्म कर दिया है और विकास के लिए प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि बंद का प्रयास करने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा.
शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दों पर विरोध करने का है अधिकार
तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि लोगों को शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दों पर विरोध करने का अधिकार है. इससे पहले सोमवार (21 फरवरी) को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य को विभाजित करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया है. विधानसभा में दार्जिलिंग के विधायक नीरज जिम्बा ने कहा कि गोरखालैंड की मांग का पश्चिम बंगाल के क्षेत्र के विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद पश्चिम बंगाल में विलय किए गए क्षेत्र के विभाजन के बारे में है. 1907 से नेपाली भाषा गोरखाओं की एक अलग राज्य 'गोरखालैंड' की मांग इस आधार पर की जाती रही है कि वे सांस्कृतिक और जातीय रूप से पश्चिम बंगाल से अलग हैं.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)