नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर जारी गहमा-गहमी के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) कानून 2021 के विरोध में नॉन बीजेपी लीडर को चिट्ठी लिखी है.
लोकसभा में एनसीटी बिल 2021 को 22 मार्च और राज्यसभा में 24 मार्च को पारित किया गया था. इसके बाद 28 मार्च को राष्ट्रपति ने इस बिल को मंजूरी दी थी. कानून के मुताबिक, दिल्ली में चुनी हुई सरकार से अधिक शक्तियां उपराज्यपाल के पास होगी. दिल्ली की सरकार को किसी भी कार्यकारी कदम से पहले उपराज्यपाल की सलाह लेनी होगी.
इसी कानून पर कड़ा एतराज जताते हुए टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, शरद पवार, एमके स्टालिन, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन, अरविंद केजरीवाल, जगन मोहन रेड्डी, नवीन पटनायक, केएस रेड्डी, फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और दिपांकर भट्टाचार्य CPI ( ML ) को चिट्ठी लिखी है.
ममता ने पत्र में कहा है कि कि जिस तरह से बीजेपी ने एनसीआर बिल को पास करने की कोशिश की है इसके खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बीजेपी एक अथॉरिटेरियन पार्टी है. ममता ने कहा कि हर राज्य की आवाज और जो आवाज उससे सामंजस्य ना रखे उसे दबा देना चाहती है.
उन्होंने कहा, ''गैर-बीजेपी दलों द्वारा शासित राज्यों में केन्द्र राज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग कर निर्वाचित सरकारों के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है.''
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि उप राज्यपाल को दिल्ली का अघोषित वायसराय बना दिया गया, जो गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के लिए एक प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) के रूप में काम कर रहे हैं.
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