West Bengal Politics: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले पश्चिम बंगाल में हाल के दिनों में काफी राजनीतिक उथल पुथल देखने को मिल रही है. संदेशखाली मामले में टीएमसी बैकफुट पर नजर आ रही है. वहीं, दक्षिण बंगाल में पार्टी के कथित कद्दावर नेता और मंत्री या तो जेल में हैं या फिर फरार हैं. इन नेताओं के पास दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना में पार्टी की अहम जिम्मेदारियां थीं.


5 लोकसभा क्षेत्रों वाले बंगाल के सबसे बड़े जिले के प्रभारी मंत्री ज्योति प्रिया मल्लिक उर्फ बालू अब जेल में हैं. इन्हें राशन घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. वहीं, बालू के गौरमौजूदगी में जिले की जिम्मेदारी उनके करीबी और रॉबिन हुड की पहचान वाले शेख शाहजहां संभाल रहे थे जो अब फरार हैं.


जनवरी की शुरुआत में कथित तौर पर ऑन-ड्यूटी ईडी अधिकारियों पर हमले की साजिश के आरोप के बाद शाहजहां शेख लगभग 50 दिनों से एजेंसी से भाग रहे हैं. इसके बाद शाहजहां के खिलाफ महिला के साथ अत्याचार और जमीन हड़पने के आरोप भी लगे.


ममता बनर्जी का दक्षिण बंगाल किसके हवाले?


दरअसल, दक्षिण और उत्तर 24 परगना दक्षिण बंगाल के दो सबसे महत्वपूर्ण जिले माने जाते हैं. इसके अंदर 10 लोकसभा सीटें आती हैं. इन जिलों की कमान शेख शाहजहां, अराबुल इस्लाम, सौकत मोल्ला और कुछ अन्य सीनियर नेताओं के हाथ में थी. इन नेताओं में सौकत विधायक और अराबुल पूर्व विधाक है जबकि शाहजहां जिला परिषद के सीनियर मेंबर हैं.


पूर्व विधायक अराबुल को पिछले साल दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर में हुई हिंसक झड़प के बाद गिरफ्तार किया गया था. वो तो अब भी जेल में हैं. कैनिंग से तृणमूल विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता मोल्ला के पास दक्षिण 24 परगना जिले का प्रभार है. इन तीनों ही नेताओं पर हिंसा के आरोप हैं. हालांकि अराबुल को छोड़कर अन्य किसी नेता पर इस तरह की कोई एफआईआर नहीं है. इनमें से मोल्ला को टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी का करीबी माना जाता है.


हालांकि टीएमसी को विश्वास है कि उसके वरिष्ठ नेताओं लगे आरोपों को लोग जल्दी भूल जाएंगे क्योंकि ये सभी आरोप बीजेपी या फिर सीपीएम की ओर से मढ़े गए हैं. पार्टी को भरोसा है कि संदेशखाली जल्दी ही व्यवस्थित हो जाएगा.


संदेशखाली से लेकर भांगर तक की राजनीति


इन दो जिलों की अलग बात की जाए तो ये दोनों ही जिले राजनीतिक रूप से काफी अहमियत रखते हैं. इन दो जिलों में 10 लोकसभा सीटें, 60 से ज्यादा विधानसभा सीटें और 510 ग्राम पंचायतें आती हैं. इन जिलों के कुछ ब्लॉक और कई विधानसभाओं में मुसलमानों का दबदबा है. बंगाल में मुस्लिम वोट बैंक लगभग 30 प्रतिशत है और बड़ा योगदान देते हैं. साथ ही ये दोनों ही जिले बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं, ऐसे में इस इलाके में सुरक्षा भी बड़ा सवाल है.


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