TMC On Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करके चुनाव आयोग (इलेक्शन कमीशन) को इसका डेटा सार्वजनिक करने के लिए कहा था. रविवार (17 मार्च) को निर्वाचन आयोग ने इसका फ्रेश डेटा जारी किया जिसमें 12 अप्रैल 2019 से पहले की अवधि की डिटेल दी गई. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 2018-19 के चुनावी बॉन्ड के खुलासे को लेकर बड़ा ही विचित्र स्पष्टीकरण दिया है.


पार्टी ने दावा किया कि अज्ञात व्यक्तियों ने कोलकाता में उनके संबंधित कार्यालयों में सीलबंद लिफाफे छोड़ दिए. इस वजह से उन्हें डोनेशन देने वालों का नाम और पता नहीं मालूम पड़ पाए. टीएमसी ने उन दानदाताओं की पहचान का खुलासा नहीं किया, जिन्होंने 16 जुलाई, 2018 और 22 मई, 2019 के बीच चुनावी बांड के जरिए सामूहिक रूप से लगभग 75 करोड़ रुपये का योगदान दिया. टीएमसी की तरह का जवाब जेडीयू ने भी दिया. 


क्या कहा टीएमसी ने?


टीएमसी ने 27 मई, 2019 को चुनाव आयोग को दिए अपने आवेदन में कहा कि इनमें से अधिकांश बॉन्ड गुमनाम रूप से उनके कार्यालय में भेजे गए थे. या तो ड्रॉप बॉक्स में डाला गए या कोई ऑफिस में ऐसे ही छोड़ गया, जिससे उनके लिए खरीददारों के नाम और विवरण सुनिश्चित करना असंभव हो गया है.


टीएमसी ने बताया कैसे कर सकते हैं बॉन्ड देने वालों की पहचान


टीएमसी ने सुझाव दिया कि भारतीय स्टेट बैंक की ओर से जारी चुनावी बॉन्डों को दिए गए खास नंबरों का इस्तेमाल करके पहचान की जा सकती है. पार्टी ने संकेत दिया कि इन बॉन्डों के एकमात्र जारीकर्ता के रूप में एसबीआई के पास बॉन्डधारकों के सभी जरूरी विवरण हैं, जिनमें उनके केवाईसी दस्तावेज, पैन कार्ड, पहचान प्रमाण, एड्रेस प्रूफ और बैंक की आवश्यकताओं के अनुसार अन्य सहायक दस्तावेज भी शामिल हैं.


ये भी पढ़ें: Electoral Bond Details: 2019 लोकसभा चुनाव से चंद दिनों पहले बीजेपी को मिले थे 3941 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड, नए डेटा में बड़ा खुलासा