Mamata Banerjee on Bangladesh Crisis: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार (2 दिसंबर 2024) को बांग्लादेश में मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर की. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप कराने की पहल करे. उन्होंने स्थिति को सामान्य करने के लिए अंतरराष्ट्रीय शांति सेना तैनात करने का प्रस्ताव दिया. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बांग्लादेश में पीड़ित भारतीयों को बचाने और पुनर्वासित करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की.
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री से संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में भारत के रुख पर बयान देने की मांग की. उन्होंने कहा, "यदि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर बोलने के लिए उपलब्ध नहीं हैं, तो विदेश मंत्री को आगे आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए."
उन्होंने बताया कि राज्य के नेता होने के नाते उनके पास द्विपक्षीय मामलों में सीमित अधिकार हैं, लेकिन हालिया घटनाक्रमों, खासतौर पर इस्कॉन के प्रतिनिधियों और प्रभावित परिवारों से हुई बातचीत ने उन्हें यह मुद्दा उठाने के लिए प्रेरित किया.
ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि हम अपने लोगों को वापस बुलाने के लिए तैयार हैं. ममता के इस बयान पर बीजेपी ने निशाना साधा है. इंडिया टुडे के मुताबिक, बीजेपी ने कहा, "दीदी घड़ियाली आंसू बहा रही हैं."
शांति बहाल करने के लिए शांति सेना तैनात करने की मांग
सीएम ममता ने सुझाव दिया कि यदि आवश्यकता पड़े तो विदेश मंत्री बांग्लादेशी अधिकारियों और संयुक्त राष्ट्र से शांति सेना तैनात करने के लिए बातचीत करें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल पीड़ित भारतीयों को शरण देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, "जरूरतमंदों के साथ अपने संसाधन साझा करने में हमें कोई आपत्ति नहीं है. उनके लिए भोजन की कोई कमी नहीं होगी."
मछुआरों की रिहाई और केंद्र की चुप्पी पर सवाल
मुख्यमंत्री ने भारत-बांग्लादेश के बीच सद्भाव बनाए रखने की जरूरत पर जोर देते हुए बांग्लादेशी जलक्षेत्र में पकड़े गए 79 भारतीय मछुआरों की तुरंत रिहाई की मांग की. उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने ऐसे मामलों में बांग्लादेशी मछुआरों को जल्दी ही रिहा कर दिया था.
ममता बनर्जी ने पिछले दस दिनों से केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया और अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा की आलोचना की, जिसने भारत-बांग्लादेश सीमा पर सामानों की आवाजाही रोकने की मांग की थी. उन्होंने साफ किया, "अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत ऐसे कदम हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं और इन्हें केवल केंद्र की ओर से ही लागू किया जा सकता है."
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