कंधार विमान हाईजैक कांड में यात्रियों की रिहाई के लिए खुद को आतंकियों को सौंपना चाहती थीं ममता बनर्जी: सिन्हा
यशवंत सिन्हा ने बताया कि तत्कालीन वाजपेयी सरकार में सहयोगी रहीं ममता बनर्जी ने 1999 में एयर इंडिया के विमान का अपहरण करने वाले आतंकवादियों से कंधार जाकर बातचीत करने की इच्छा जताई थी, ताकि बंधकों को रिहा कराया जा सके.
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कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी यशवंत सिन्हा शनिवार को ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. इस मौके पर सिन्हा ने दावा किया है कि ममता बनर्जी ने कंधार विमान अपहरण के दौरान खुद को आतंकियों को सौंपे जाने का प्रस्ताव दिया था. यशवंत सिन्हा ने बताया कि करीब दो दशक पहले कंधार विमान हाईजैक मामले में यात्रियों की रिहाई के लिए तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बंधक के रूप में वहां जाने की पेशकश की थी. सिन्हा ने 24 दिसंबर 1999 को एयर इंडिया के विमान के अपहरण की घटना को याद करते हुए यह बताया.
सिन्हा ने कहा, "मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि जब भारतीय विमान (आईसी 814) को हाईजैक कर लिया गया था और उसे अपहरणकर्ता अफगानिस्तान के कंधार ले गए थे, तब मंत्रिमंडल की एक बैठक हुई थी. उसमें ममता जी ने यह पेशकश की थी कि वह बंधक के रूप में जाएंगी, लेकिन शर्त यह होगी कि आतंकवादियों को अन्य यात्रियों को रिहा करना होगा."
सिन्हा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की सराहना करते हुए कहा, 'वह शुरू से ही योद्धा रही हैं. उन्हें अपनी जान का डर नहीं है.' सिन्हा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में उस वक्त (1999 में) केंद्रीय वित्त मंत्री थे. इस घटना के वक्त ममता रेल मंत्री थी. उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में सहयोगी पार्टी थी.
"TMC में आने से पहले 45 मिनट तक ममता से बात हुई" काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना हुए विमान को अपहरणकर्ता कंधार ले गए थे. बीच रास्ते में यह अमृतसर में उतरा था. सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का फैसला करने से पहले उनकी करीब 45 मिनट तक ममता बनर्जी से बातचीत हुई थी. सिन्हा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत समय की मांग है. उन्होंने कहा कि इससे साल 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की हार और देश को बचाने के लिए संदेश जाएगा.
सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन भगवा पार्टी के नेतृत्व से मतभेदों के चलते 2018 में उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी. उनके बेटे जयंत सिन्हा झारखंड की हजारीबाग लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद हैं. जीवन के आठ दशक पूरे कर चुके सिन्हा ने 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रचार किया था.
सिन्हा साल 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में वित्तमंत्री रहे थे और इसके बाद वाजपेयी मंत्रिमंडल भी उन्हें इस मंत्रालय का कार्यभार मिला था. वह वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री के पद पर भी रहे थे. 1977 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के प्रधान सचिव थे लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर साल 1984 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए थे.
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