Vice President Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बड़ा फैसला किया है. उन्होंने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी TMC उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग प्रकिया में हिस्सा नहीं लेगी. उनका ये फैसला विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा झटका है. विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के वोटों में कमी आएगी और वोटों की गणित लिहाज से पहले ही एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ के लिए रास्ता और आसान हो जाएगा. 


टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि पार्टी के ज्यादातर  सांसदों ने ममता बनर्जी से इस बारे में बात की है. उन्होंने कहा कि अंतिम समय में विरोधी दलों ने बिना परामर्श किए मार्गरेट अल्वा के नाम की घोषणा की है जो कि वह लोकतांत्रिक और उचित नहीं है. अभिषेक बनर्जी ने कहा, 'मार्गरेट अल्वा और ममता बनर्जी के बीच अच्छे संबंध हैं, लेकिन देश के उपराष्ट्रपति का चुनाव व्यक्तिगत समीकरणों के आधार पर नहीं होने वाला है. हमारे 85 फीसदी सांसदों ने फैसला किया कि हमें मतदान से बचना चाहिए.' बनर्जी ने आगे कहा कि जगदीप धनखड़ बंगाल के राज्यपाल रहते हुए पक्षपाती रहे हैं. हम वैसे भी एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का समर्थन नहीं करेंगे.


ममता बनर्जी के इस ऐलान के बाद के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. आज ही उन्होंने एक रैली में जीएसटी की नई दरों को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर उनका ये फैसला कुछ दिन पहले ही दार्जलिंग में हुई चाय पार्टी से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, जगदीप धनखड़ और खुद सीएम ममता बनर्जी भी शामिल थीं. इस पार्टी के बाद ही जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाने का ऐलान किया गया था.


गौरतलब है कि साल 2019 में पश्चिम बंगाल में उपराज्यपाल बनने के बाद जगदीप धनखड़ ने लगातार एक के बाद एक मुद्दों पर ममता बनर्जी के लिए मुश्किलें खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. तल्खियां इतनी बढ़ गई थीं कि किसी भी कार्यक्रम में जब दोनों एक दूसरे के सामने होते तो तंज कसने में भी नहीं चूकते थे. सीधे शब्दों में कहें तो राज्यपाल के पद पर होते हुए धनखड़ पूरी तरह से विपक्ष की भूमिका में आ गए थे. हालांकि उनका ये भी कहना है कि उन्होंने हर काम संविधान के दायरे में रहकर किया है. जगदीप धनखड़ को लेकर ममता बनर्जी कई बार दिल्ली में भी केंद्र से शिकायत कर चुकी थीं. ऐसे में जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ममता बनर्जी जरूर राहत की सांस ले रही होंगी. सवाल इस बात का है कि क्या उस चाय पार्टी में एक दूसरे राहत देने की बात तय हुई थी.


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