कोलकाताः तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी को सांसद अभिषेक बनर्जी को पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव बनाने से परिवारवाद के आरोपों का फिर सामना करना पड़ सकता है. अभिषेक को महासचिव बनाने पर तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी ने पत्रकार वार्ता में कहा था कि कार्यसमिति ने फैसला किया कि कोई भी व्यक्ति पार्टी में केवल एक पद ग्रहण करेगा और कोर कमेटी ने इसे अपनी मंजूरी दे दी है.


अभिषेक बनर्जी को महासचिव बनाने से पहले दिन में पार्टी की दो अहम बैठकें हुईं. ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक राष्ट्रीय महासचिव के रूप में सुब्रत बख्शी की जगह ली, जबकि अभिनेत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता सायोनी घोष को पार्टी की युवा इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था. इससे पहले तक यह पद अभिषेक के पास था.  


ममता बनर्जी पर परिवार को पार्टी में आगे बढ़ाने के आरोप 
यह पहली बार नहीं जब ममता बनर्जी पर अपने परिवार को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया गया हो. चुनाव से पहले टीएमसी छोड़ने वाले ज़्यादातर नेताओं ने पार्टी छोड़ते समय अभिषेक पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा था कि पार्टी अब वंशवाद की शिकार हो गई है. अभिषेक इस पार्टी में अघोषित तौर पर नंबर दो हैं. बीजेपी ने इन आरोपों का समर्थन किया था. 


चुनाव के दौरान बीजेपी ने परिवारवाद को लेकर ममत पर साधा था निशाना
प्रचार के दौरान बंगाल के मेदिनीपुर में सभा करते हुए अमित शाह ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव आने तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पार्टी में अकेली रह जाएंगी. पश्चिम बंगाल के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी सहित तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने के दिन शाह ने यह बात कही. शाह ने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस का ‘मां, माटी, मानुष’ का नारा ‘वसूली, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजवाद’ में तब्दील हो गया है.


भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष  और विष्णुपुर के सांसद सौमित्र का कहना था कि परिवारवाद के कारण त्यागी से भोगी बनी तृणमूल नेता ममता बनर्जी और उनकी पार्टी का अस्तित्व खत्म होने वाला है. पार्टी के अंतर्विरोध की स्थिति यह है कि इस पार्टी में सिर्फ ममता बनर्जी और उनके भतीजे के अलावा कोई रोने वाला नहीं होगा. चुनाव के दौरान परिवारवाद के लगे तमाम आरोपों की परवाह नहीं करते हुए ममता ने अभिषेक को पार्टी महासचिव बनाया. 


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