कोलकता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने क्षेत्रीय भाषाओं के खिलाफ भेदभाव का मुद्दा गुरुवार को फिर से उठाया. उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिये जेईई (मेन) में सिर्फ गुजराती भाषा की अनुमति दी गई है. ममता ने कहा कि गुजराती भाषा के खिलाफ उनकी कोई आपत्ति नहीं है लेकिन अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी सूची में शामिल किया जाना चाहिए था.


तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ''यदि केंद्र सरकार कोई फैसला ले रही है तो उसे राज्य सरकार से पूछना चाहिए. हम कैसे जान पाएंगे? क्या हम भगवान हैं? हम भगवान नहीं हैं, इसलिए हम कैसे जान पाएंगे कि उनके मन में क्या है? राज्य सरकार को यह सूचना दी जानी चाहिए थी कि कृपया इसे (परीक्षा में बैठने के लिये एक क्षेत्रीय भाषा शामिल करने का प्रस्ताव) भेजिए.''


सभी राज्यों को भेजे गए थे अनुरोध


हालांकि, संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) संचालित करने वाली ‘नेशनल टेस्टिंग एजेंसी’ (एनटीए) ने साफ किया है कि अनुरोध सभी राज्यों को भेजे गये थे केवल गुजरात और महाराष्ट्र ही जेईई (मेन) के जरिये अपने इंजीनियरिंग कॉलेजों में उम्मीदवारों के दाखिले के लिए राजी हुए.


एजेंसी ने कहा है, ''जेईई (मेन) परीक्षा 2013 में इस विचार के साथ शुरू की गई थी कि सभी राज्य अपने इंजीनियरिंग छात्रों का जेईई (मेन) के जरिये दाखिला लेंगे. 2013 में सभी राज्यों को अनुरोध भेजा गया था.''


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एजेंसी ने कहा कि शुरूआत में सिर्फ गुजरात, राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में जेईई (मेन) के जरिये उम्मीदवारों का दाखिला लेने के लिये राजी हुआ था और अनुरोध किया था कि प्रश्न पत्र गुजराती भाषा में उपलब्ध कराये जाएं. वहीं, 2014 में महाराष्ट्र ने भी जेईई के जरिये उम्मीदवारों का दाखिला लेने का विकल्प चुना और अनुरोध किया कि प्रश्न पत्र मराठी एवं उर्दू में उपलब्ध कराए जाएं.


गुजराती भाषा में अनुवाद जारी रहा


दोनों राज्यों ने 2016 में जेईई (मेन) के जरिये राज्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले वापस ले लिये. इसलिए मराठी और उर्दू भाषाओं में अनुवाद बंद कर दिया गया. हालांकि गुजरात के अनुरोध पर गुजराती भाषा में अनुवाद जारी रहा. बयान में कहा गया है, ''किसी भी अन्य राज्य ने जेईई (मेन) प्रश्न पत्र किसी अन्य भाषा में उपलब्ध कराने के लिये एजेंसी से संपर्क नहीं किया.''


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हालांकि, ममता ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ने महीनों पहले पत्र लिख कर परीक्षा के माध्यम के रूप में बांग्ला भाषा शामिल करने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उन्होंने पूछा, ''क्या बांग्ला भाषा से भेदभाव किया जा रहा? ना सिर्फ बांग्ला बल्कि एक या दो भाषाओं को छोड़ कर सभी भाषाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया है.''


उन्होंने यह याद दिलाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साझा भाषा के रूप में हिंदी की हिमायत करने के बाद किस तरह से विवाद पैदा हुआ था. उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है जहां कई भाषाएं, जातियां और धर्म हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, ''किंतु एक चीज जरूर याद रखी जानी चाहिए कि हम सब एक हैं, हम एकजुट हैं क्योंकि आखिरकार एकजुट भारत हमारा उद्देश्य है.''


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