Exclusive: मोदी-शाह की जोड़ी से मुकाबले के लिए ममता का बंगाली अवतार
हाल में हुए विधानसभा उप चुनाव में जीत से ममता को टॉनिक मिल गया है. तीनों सीटों पर टीएमसी जीत गई. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष अपनी सीट तक नहीं बचा पाए.
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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब बंगाल की बेटी बनकर बीजेपी से मुकाबला करेंगी. पीएम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह से दो-दो हाथ करने कि लिए ये फॉर्मूला बना है. एबीपी न्यूज़ को पता चला है कि 2 मार्च को ममता अपना कैंपेन लॉन्च करेंगी. कोलकाता में टीएमसी उस दिन एक बड़ा कार्यक्रम करेगी. बीजेपी को बाहरी और ममता को घर का बताया और समझाया जाएगा. प्रशांत किशोर की टीम ने इसके लिए नए नारे गढ़े हैं.
दिल्ली के चुनाव में अरविंद केजरीवाल का बेटा और भाई वाला फॉर्मूला हिट रहा. अब यही फॉर्मूला बंगाल में भी चलेगा. ममता अपने लोगों से कहेंगी कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी उन्हें तबाह करना चाहती है. वे किसी की दीदी तो किसी की बेटी बन कर चुनावी अखाड़े में उतरेंगी. उनकी यही इमेज बनाने के लिए प्रशांत किशोर की टीम ने थीम सॉन्ग भी तैयार किया है. कई बड़े नेताओं के लिए काम कर चुके पीके के लिए बंगाल सबसे बड़ी चुनौती है.
बीजेपी का सपना है बंगाल जीतना
पीएम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह का सपना बंगाल जीतना रहा है. चुनाव तो अगले साल है. लेकिन बीजेपी और टीएमसी अभी से प्रचार में उतर गई हैं. ममता लगातार पद यात्रा पर हैं. बीजेपी के नेता भी जवाबी दौरे कर रहे हैं. बंगाल को ममता बनर्जी और अमित शाह ने अपने मान सम्मान की लड़ाई बना लिया है. अगर बंगाल ही चला गया तो राजनीति में ममता के लिए बचेगा क्या ? जो जीता वही सिकंदर. अमित शाह हर हाल में बंगाल का सिकंदर बनना चाहते हैं. .बीजेपी की एक राष्ट्रीय कार्यकारिणी में वे ऐसा कह चुके हैं. उन्होंने कहा था पार्टी का गोल्डन टाईम तब होगा जब बंगाल जीतेंगे. ममता बनर्जी भी जानती हैं कि मोदी और शाह वाली बीजेपी कितना बड़ा खतरा बन चुकी है. लोकसभा चुनाव में इसकी एक झांकी वे देख चुकी हैं. बीजेपी को 18 और टीएमसी को 22 सीटें मिली. लेकिन लड़ाका की छवि वाली ममता भला इतनी जल्द कहां हाल मारने वाली हैं. अगले साल का विधानसभा चुनाव उनके लिए आर पार की लड़ाई बन गई है. कुछ महीनों पहले उन्होंने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अपने साथ कर लिया.
प्रशांत किशोर और ममता के बीच हो रही हैं बैठकें
प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी के बीच कई दौर की बैठकें हुईं. इसका असर ये हुआ कि दीदी अब बदलने लगी हैं. बीजेपी के लाख उकसाने पर भी वे उनके सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे में नहीं फंसती हैं. कोई ऐसा बयान नहीं देती हैं जिससे मामला हिंदू मुसलमान जैसा हो जाए. याद करिए पहले ममता कितनी आसानी से बीजेपी के ट्रैप में फंस जाती थीं. याद है ना वो वीडियो जिसमें जय श्री राम का नारा लगाने वालों के पीछे खुद दौड़ जाती हैं. वहीं ममता बनर्जी अब अपनी पद यात्रा पर कीर्तन कर रही हैं. उनके आस पास कोई मुस्लिम चेहरा नहीं होता है. ममता के बंगाल में इन दिनों मंच पर कोई ना कोई साधु संत होता है.आखिर बंगाल में बीजेपी क्यों मजबूत होती जा रही है ? इस पर मंथन हुआ तो पता चला हर इलाके में टीएमसी के नेता मिनी ममता बन गए हैं. वे अपने एरिया के सरकार बन गए हैं. पहले ऐसे लोगों पर ममता ने कार्रवाई की. फिर हुई घूसखोरी का पैसा वापस कराने का फैसला. ममता बनर्जी पहले इसके लिए तैयार नहीं थीं. उन्हें लगा ऐसा करने से तो ये मैसेज जाएगा कि उनके राज में भ्रष्टाचार है. लेकिन प्रशांत किशोर के समझाने पर वे मान गईं. टीएमसी के नेता काम कराने के बदले कमीशन लेते हैं. ममता की अपील पर लोगों ने कमीशन लौटाने शुरू कर दिए. ये सिलसिला अब भी जारी है.
अगले साल है बंगाल में चुनाव
अब आगे चुनाव बिहार में है. लेकिन बीजेपी तो मिशन बंगाल में जुट गई है. लोकसभा चुनाव में कामयाबी से पार्टी के हौसले सातवें आसमान पर है. ममता बनर्जी जानती हैं बीजेपी कितना बड़ा खतरा बन चुकी है. कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां अब बंगाल में बस नाम की रह गई हैं. बीजेपी किसी ना किसी बहाने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की जुगाड़ में रहती है. 30 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले राज्य में ये काम और आसान है. बंगाल और वहां के लोगों का मूड बदलने लगा है. लोकसभा चुनावों में मोदी ब्रांड खूब चला. बंगाल के गांव-गांव में लोग उनको जानते हैं. ममता की एक चूक बंगाल में उनकी बैंड बजा सकती है. बीजेपी और टीएमसी में आमने सामने की लड़ाई है. ममता को अपने एजेंडे में फंसाने के लिए बीजेपी ने हर तरफ जाल बिछा रखा है. ममता और प्रशांत किशोर इसी चिंता में हैं.
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