कोलकाताः कोलकाता हाईकोर्ट ने बीते 6 अगस्त को एक मर्डर केस में फैसला सुनाया, जिसमें 14 साल बाद निचली अदालत द्वारा दिए गए उम्रकैद के फैसले को पलट दिया लेकिन तब तक न्याय मिलने में काफी देर हो चुकी थी.


बिमलेंदू मंडल पर उनकी पत्नी की हत्या का आरोप सिद्ध होने के बाद 2004 में एक निचली अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तब से बिम्लेंदू जेल में अपनी सजा काट रहे थे. 2017 में इस केस की सुनवाई कोलकाता हाईकोर्ट में शूरू हुई और आखिरकार सोमवार को हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला ये कहते हुए पलट दिया कि जिन साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को सजा हुई है वो बेहद हल्के हैं. लेकिन ये फैसला सुनने के लिए बिमलेंदू इस दुनिया में नहीं थे. उनकी मौत 2016 में सजा के दौरान ही हो गई थी.


दरअसल, बिमलेंदू मंडल पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा था. एक बंग्ला अखबार के अनुसार 2002 में विम्लेन्दू की पत्नी उनके घर के पास एक झील में मृत पाई गई थीं. फॉरेन्सिक जांच में पता चला था कि उनकी पत्नी को जहर दिया गया था. इस दौरान घटना के दिन दंपति के घर मौजूद रहे मृतका के भाई ने ये आरोप लगाया था कि जिस दिन पुलिस को उसकी बहन की लाश मिली उस दिन पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ था.


खबरों के मुताबिक बिमलेंदू के पास वकील को देने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने एक वकील से बिना पैसे लिए हाईकोर्ट में अपना केस लड़ने की प्रार्थना की थी. जिसके बाद अपलक बासू नाम के एक वकील ने बिमलेंदू की तरफ से हाईकोर्ट में अपील की और बिमलेंदू केस जीत गए. लेकिन 2016 में किसी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई और ये फैसला सुनने के लिए वो जीवित नहीं थे.