नई दिल्ली: एक ओर जहां लोग धर्म के नाम पर आए दिन एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, ऐसे में अगर कोई व्यक्ति दूसरे धर्म के व्यक्ति की जान बचाने के लिए अपना खून दान करें तो इससे बढ़कर इंसानियत का तकाजा और कुछ हो ही नहीं सकता. वह भी ऐसे समय में जब एक मुस्लिम युवक माहे पाक रमजान का फर्ज रोजा तोड़कर अपना खून हिंदू धर्म की महिला को दान करता है. वाकई में इसकी मिसाल खोजने पर नहीं मिलेगी.


असम के शोणितपुर जिला के ढेकियाजुली निवासी मुन्ना अंसारी ने अपना फर्ज रोजा तोड़कर हिंदू संप्रदाय की महिला को की जान बचाने के लिए रक्तदान किया है. जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है. घटना के अनुसार बिश्वनाथ जिले के ईटाखोला निवासी रेवती बोरा नामक एक महिला को गंभीर अवस्था में इलाज के लिए एक सप्ताह पूर्व बिश्वनाथ जिला सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. महिला को गत एक सप्ताह से बी नेगेटिव रक्त की आवश्यकता थी. ब्लड बैंक व अन्य स्थानों पर परिजनों ने काफी तलाश की लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बीच महिला की हालत धीरे-धीरे खराब होती जा रही थी. बता दें कि बी नेगेटिव ग्रुप रक्त बेहद कम लोगों में पाया जाता है.


जब इसकी जानकारी मुन्ना अंसारी को मिली तो, उन्होंने मानवता की खातिर धर्म की जंजीरों को तोड़ते हुए अपने फर्ज रोजा को रद्द कर महिला की जान बचाने के लिए खून देने की खातिर तैयार हो गया, मुन्ना ढेकियाजुली से बिश्वनाथ काफी दूरी तय कर पहुंचा था. मुन्ना अंसारी ने अस्पताल पहुंचकर अपना खून दिया. जिसके चलते महिला की जान बच गई. रेवती बोरा के पुत्र अनिल बोरा को जब इसकी जानकारी मिली तो वह मुन्ना अंसारी का इस उपकार के लिए दिल से आभार व्यक्त किया. इस घटना की इलाके में सर्वत्र चर्चा है.


मीडिया से इस बारे में बात करते हुए मुन्ना अंसारी ने बताया, ''बी निगेटिव खून की यहां जरूरत थी और यह लोग तीन-चार दिन से खोज रहे थे मुझे पता चला तब मैंने खून देने का मन बनाया आज मुझे खून देना है इसलिए मैंने रोजा नहीं रखा इसके पहले मैंने रोजा रखा था मेरा घर ढेकियाजुली में है हमारे एनजीओ का नाम वॉलंटरी ब्लड डोनेशन असम है हम चेष्टा करते हैं कि लोगों को जरूरत के हिसाब से खून मुहैया कराया जाए हमारे सदस्य असम के अलावा पूरे भारत में भी है.''