बाघिन को मारने के मामले में SC का महाराष्ट्र को नोटिस, याचिकाकर्ता का दावा- आदमखोर नहीं थी अवनी
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दावा किया कि बाघिन के पोस्टमॉर्टम के दौरान उसके शरीर में मानव अवशेष नहीं मिले थे, जबकि बाल और नाखून जैसे अवशेष कई महीनों तक पेट मे मौजूद रहते हैं.
नई दिल्ली: आदमखोर करार देकर मारी गयी बाघिन अवनी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. नवंबर 2018 में महाराष्ट्र के यवतमाल में अवनी को मारा गया था. याचिकाकर्ता संगीता डोगरा ने अवमानना याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि बाघिन को मारते समय नियमों का पालन नहीं हुआ. कोर्ट को भी इस मामले में गलत जानकारी दी गई थी.
आदमखोर करार देकर मारी गई बाघिन अवनी के मामले पर SC का नोटिस। नवंबर 2018 में महाराष्ट्र के यवतमाल में अवनी को मारा गया था। याचिकाकर्ता संगीता डोगरा ने SC को बताया- बाघिन के आदमखोर होने के सबूत पोस्टमॉर्टम में नहीं मिले। गोली मारने वाले को सरकार की तरफ से ईनाम देना भी नियम विरुद्ध
— Nipun Sehgal (@Sehgal_Nipun) February 10, 2021
सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से बाघिन के आदमखोर होने की जानकारी मिलने की जानकारी के बाद उसे मारने की अनुमति दी थी. कोर्ट को बतायागया था कि अवनी 13 लोगों को मार चुकी है. आज याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दावा किया कि बाघिन के पोस्टमॉर्टम के दौरान उसके शरीर में मानव अवशेष नहीं मिले थे, जबकि बाल और नाखून जैसे अवशेष कई महीनों तक पेट मे मौजूद रहते हैं.
चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को इस दावे के समर्थन में दस्तावेज देने को कहा. याचिकाकर्ता ने 1 हफ्ते में ऐसा करने की बात करते हुए कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने बाघिन को गोली मारने वाले शिकारी को ईनाम दिया था. यह भी नियमों के खिलाफ है. कोर्ट ने इस पहलू ओर सहमति जताते हुए मामले में नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने 2 हफ्ते बाद आगे सुनवाई की बात कही है.
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