ट्रेन में नहीं मिली थी रिजर्व सीट, 'अब रेलवे को देना पड़ेगा 75 हजार का मुआवजा'
एबीपी न्यूज़
Updated at:
14 Jun 2017 11:18 AM (IST)
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नई दिल्ली: ट्रेन में सफर के दौरान रिजर्व सीट पर दूसरे पैसेंजर्स के कब्जे से परेशानी झेलने वाले एक शख्स को रेलवे 75 हजार का मुआवजा देगा. दिल्ली की राज्य उपभोक्ता अदालत ने जिला फोरम के उस आदेश को बरकरार रखते हुए ये फैसला सुनाया है, जिसमें भारत के रेल मंत्रालय को एक यात्री को 75000 रुपये हर्जाना देने के लिए कहा गया था.
शिकायतकर्ता के मुताबिक, उसने चार साल पहले 30 मार्च 2013 को लिंक दक्षिण एक्सप्रेस में यात्रा के टिकट बुक कराया था. जिसके बाद मध्य प्रदेश के बीना में कुछ जबरदस्ती उसके कोच में घुस गए और उसकी सीट पर कब्जा कर लिया. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसके घुटनों में दर्द रहता है इसलिए उसने लोअर बर्थ चुनी थी.
शिकायतकर्ता ने कोर्ट से कहा, ‘’मुझे उस यात्रा की वजह से उसे बहुत ज्यादा मानसिक तकलीफ झेलनी पड़ी थी.’’ शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम से 20 लाख रुपए हर्जाना दिलवाए जाने की मांग की थी.
कोर्ट की तरफ से नोटिस भेजे जाने के बावजूद रेलवे का कोई अधिकारी सुनवाई के लिए नहीं आया. बाद में कोर्ट ने प्रतिवादी की गैर-मौजूदगी में फैसला सुना दिया. बता दें कि जिला उपभोक्ता फोरम ने अपना फैसला 2014 में सुनाया था. उपभोक्ता फोरम ने अपने आदेश में हर्जाने की राशि में 25000 रुपये उस टीटीई की तनख्वाह से काटने का आदेश दिया है जो यात्रा के दिन उस कोच का प्रभारी था.
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नई दिल्ली: ट्रेन में सफर के दौरान रिजर्व सीट पर दूसरे पैसेंजर्स के कब्जे से परेशानी झेलने वाले एक शख्स को रेलवे 75 हजार का मुआवजा देगा. दिल्ली की राज्य उपभोक्ता अदालत ने जिला फोरम के उस आदेश को बरकरार रखते हुए ये फैसला सुनाया है, जिसमें भारत के रेल मंत्रालय को एक यात्री को 75000 रुपये हर्जाना देने के लिए कहा गया था.
शिकायतकर्ता के मुताबिक, उसने चार साल पहले 30 मार्च 2013 को लिंक दक्षिण एक्सप्रेस में यात्रा के टिकट बुक कराया था. जिसके बाद मध्य प्रदेश के बीना में कुछ जबरदस्ती उसके कोच में घुस गए और उसकी सीट पर कब्जा कर लिया. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसके घुटनों में दर्द रहता है इसलिए उसने लोअर बर्थ चुनी थी.
शिकायतकर्ता ने कोर्ट से कहा, ‘’मुझे उस यात्रा की वजह से उसे बहुत ज्यादा मानसिक तकलीफ झेलनी पड़ी थी.’’ शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम से 20 लाख रुपए हर्जाना दिलवाए जाने की मांग की थी.
कोर्ट की तरफ से नोटिस भेजे जाने के बावजूद रेलवे का कोई अधिकारी सुनवाई के लिए नहीं आया. बाद में कोर्ट ने प्रतिवादी की गैर-मौजूदगी में फैसला सुना दिया. बता दें कि जिला उपभोक्ता फोरम ने अपना फैसला 2014 में सुनाया था. उपभोक्ता फोरम ने अपने आदेश में हर्जाने की राशि में 25000 रुपये उस टीटीई की तनख्वाह से काटने का आदेश दिया है जो यात्रा के दिन उस कोच का प्रभारी था.
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