लेखक, पत्रकार और राजनेता रहे एमपी वीरेंद्र कुमार को उनकी 84वीं जयंती पर कई बड़ी हस्तियों ने किया याद
बता दें कि वीरेंद्र कुमार का जन्म 22 जुलाई को केरल के वायनाड में एम के पाथमप्रभा के घर हुआ था. वीरेंद्र कुमार ने कई किताब लिखे. वह वर्ष 1987 में केरल विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.
नई दिल्ली: मलयालम लेखक-पत्रकार और केरल से राज्यसभा सदस्य रहे एमपी वीरेंद्र कुमार को आज उनके जन्मदिन पर कई बड़ी हस्तियों ने याद किया. एमपी वीरेंद्र कुमार को याद करने के लिए आज एक वर्चुअल मीट ऑर्गनाइज किया गया था.
इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद, सीपीएम जेनरल सेक्रेटरी सीताराम यचुरी, अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन, पूर्व एमपी जया प्रदा, पर्यावरण एक्टिविस्ट श्रीमती वंदना शिवा, द हिन्दू से एन राम, PTI के पूर्व अध्यक्ष एच एन कामा, आईआईए के ग्लोबल चेयरमैन श्रीनिवासा स्वामी, मिजोरम के गवर्नर पीएस श्रीधरन और मातृभूमि के मैनेजिंग एडिटर पीवी चंद्रन ने शिरकत की. इसके अलावा उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू भी इसका हिस्सा थे.
वर्चुअल मीट के दौरान वैंकेया नायडू ने कहा,'' यह एक भावुक क्षण है मेरे लिए अपने दोस्त को याद करने का जो हमें कुछ महीने पहले ही छोड़ कर चले गए. अगर आज वो हमारे साथ होते तो हम उनकी 84वीं जन्मदिवस मना रहे होते. वह एक मल्टिटैलेंटेड पर्सन थे. एक लेखक, राजनेता, मातृभूमि प्रिंटिंग एंड पब्लिसिंग लिमिटेड के मैनेजिंग एडिटर, उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुमुल्य योगदान दिया. वह PTI के चेयरमैन भी रहे.''
राहुल गांधी ने कहा आप वायनाड जाइए और देखिए उनकी वजह से वहां का पर्यावरण, वहां के लोग कहां पहुंच गए हैं. मुझे कभी मौका नहीं मिला कि मैं उनसे केरेला और वायनाड को लेकर उनकी क्या फीलिंग है ये जान पाता.
वहीं सीताराम येचुरी ने कहा कि उन्होंने न सिर्फ पत्रकारिता और साहित्य में योगदान दिया है बल्कि भारतीय कल्चर को भी काफी रिच किया है.
बता दें कि वीरेंद्र कुमार का जन्म 22 जुलाई को केरल के वायनाड में एम के पाथमप्रभा के घर हुआ था. वीरेंद्र कुमार कई किताब लिखे. वह वर्ष 1987 में केरल विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. वह दो बार लोकसभा के लिए भी चुने गए. मार्च 2018 में वह केरल से राज्यसभा के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए थे.
उनके परिवार में पत्नी, तीन पुत्रियां और एक पुत्र हैं. वर्ष 2016 में हिमालय पर यात्रा वृत्तांत (हैमवाता भूमिइल) के लिए उन्हें मूर्तिदेवी पुरस्कार दिया गया था.