शाहीन बाग में बोले मणिशंकर अय्यर- 'अब देखना है कि हमारा हाथ मजबूत है या उस कातिल का'
शाहीन बाग में मणिशंकर अय्यर ने कहा कि अब देखना है कि हमारा हाथ मजबूत है या कातिलों का?
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं. एक बार फिर उन्होंने एक ऐसा ही बयान दिया है. इस बार उन्होंने नागरिकता कानून का विरोध करते हुए यह बयान दिया है. दरअसल नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. दिल्ली के शाहीन बाग में भी इस कानून के खिलाफ पिछले कई दिनों से जबरदस्त प्रदर्शन हो रहा है. यहां बच्चे, बूढ़े और महिलाएं अपना काम छोड़कर प्रदर्शन कर रहे हैं. कई नेता भी इनके समर्थन में शाहीन बाग आ रहे हैं. मणिशंकर अय्यर भी इनके समर्थन में यहां बोलने आए थे.
क्या कहा मणिशंकर अय्यर ने
मणिशंकर अय्यर ने कहा, ''जो भी कुर्बानी देनी हो, उसमें मैं भी शामिल होने के लिए तैयार हूं. अब देखें कि किसका हाथ मजबूत है, हमारा या उस कातिल का?''
#WATCH Congress leader Mani Shankar Aiyar at the protest against #CAA & #NRC, in Delhi's Shaheen Bagh: Jo bhi qurbaniyan deni hon, usme main bhi shaamil hone ke liye tayaar hun. Ab dekhein ki kiska hath mazboot hai, hamara ya uss kaatil ka? pic.twitter.com/ojV4QU9dMs
— ANI (@ANI) January 14, 2020
बता दें कि शाहीन बाग में इससे पहले मंगलवार शाम चार बजे के करीब स्थानीय विधायक अमानतुल्लाह खान भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि सीएए के खिलाफ जारी सत्याग्रह का राजनीतिकरण न हो, इसलिए अब तक वह इस प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए थे.
वहीं मंगलवार से दिल्ली के शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटान की कवायद दिल्ली पुलिस ने शुरू कर दी है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ये कदम उठा रही है. इसको लेकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की जा रही है. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर यहां करीब एक महीने से प्रदर्शन जारी है. इसके चलते शाहीन बाग-कालिंदी कुंज सड़क भी एक महीने से बंद है.
बता दें कि मंगलवार इसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने ये मामला दिल्ली पुलिस पर छोड़ दिया. हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि जनहित को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करे. वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने जनहित याचिका दाखिल की थी.
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